विकासनगर, शक्ति नहर किनारे सिंचाई विभाग की जमीन पर अवैध अतिक्रमण के बाद अब उत्तराखंड जल विद्युत निगम की खाली पड़ी जमीन पर भी अवैध कब्जे की कोशिशें होने लगी हैं। कब्जाधारक शुरुआती दौर में खाली पड़ी जमीन पर घास फूस के छप्पर बना रहे हैं, जिसके बाद निर्माण कार्य शुरू किया जाता है।
हैरानी की बात है कि इन दिनों ढकरानी में जिस जमीन पर अवैध अतिक्रमण करने की कोशिश की जा रही है, वहीं यूजेवीएन के कार्यालय से चंद कदमों की दूरी पर ही है। जिससे जाहिर होता है कि निगम प्रबंधन व स्थानीय प्रशासन कब्जाधारकों को मौन समर्थन दे रहे हैं। पछवादून में सरकारी जमीनों व बरसाती नालों पर अवैध अतिक्रमण का खेल राज्य गठन के बाद से ही जारी है। देहरादून से सटा क्षेत्र होने के चलते यहां तेजी से बसावट बस रही है जिसका लाभ भू माफिया उठा रहा है।
माफिया खाली पड़ी सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे कर उन्हें खुर्द बुर्द करने में लगा हुआ है। जबकि कुछ जगहों पर बाहर से प्रवासी मजदूर अवैध झुग्गी बना रहे हैं जिन्हें बाद में पक्के निर्माण में तब्दील कर दिया जाता है। क्षेत्र में हो रहे अवैध अतिक्रमण पर स्थानीय प्रशासन की चुप्पी भी कई सवाल खड़े करती है। जबकि अवैध बस्ती बसने के कुछ समय बाद ही बस्ती के बाशिंदों को राशन कार्ड, पहचान पत्र मुहैया हो जाते हैं जिससे अवैध कब्जों का राजनैतिक संरक्षण मिलने की संभावना भी जताई जा रही है। इन दिनों ढकरानी उत्तराखंड जल विद्युत निगम की खाली पड़ी जमीन पर अवैध कब्जे करने की कोशिश की जा रही है।
प्राथमिक विद्यालय से सटी इस जमीन पर शुरुआती दौर में घास फूस के छप्पर बनाए जा रहे हैं जिन्हें शीघ्र ही ही नहीं हटाया गया तो अन्य अवैध बस्तियों की तरह ही बाद में पक्के निर्माण में तब्दील कर दिए जाने की संभावना है। उधर, एसडीएम जितेंद्र कुमार ने बताया कि, “ढकरानी में बस रही अवैध बस्ती का भौतिक निरीक्षण कर उचित विधिक कार्रवाई की जाएगी।”