आई.एम.ए से भारतीय सेना को मिले जांबाज़ अधिकारी

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भारतीय सैन्य अकादमी के रेगयुलर विंटर कोर्स को पास करने के बाद भारतीय सेना को आज 401 नये अदिकारी मिले। ऐतिहासिक चेटवुड हाॅल के प्रांगण में सर्दी की खिलखिलाती घूप में हुई पासिंग आउट परेड में 401 भारतीय कैडेटों के साथ साथ 8 मित्र देशों से आये 53 कैडेटस कोर्स पूरा कर के अधिकारी बन गये।

परेड की सलामी ली लेफ्ट जेन नरेंद्र पाल सिंह हीरा (एवीएसएम, एसएम) ने ली जो कि खुद नेशनल डिफेंस अकादमी, पुणे के पास आउट हैं औऱ इस समय सिख लाइट इंफेंट्री में तैनात हैं। उनके साथ आई.एम.ए के आॅफिशियेटिंग कमांडेंट लेफ्ट जेन एस के सैनी (वाईएसएम, वीएसएम) भी मौजूद रहे।

परेड की एकाग्रता और तालमेल देखते ही बन रहा था। इस परफेक्ट परेड ने इसकी तैयारी और कोर्स के दौरान कैडेटस के द्वारा की गई मैहनत और फौज की डिसिप्लिन ज़िदगी को साफ दर्शाया।

जैसे ही कैडेस ने परेड पुरी कर “अंतिम पग” को पार किया वो कैडेटस से अधिकारी बन गये और ये सचमुच हर कैडेट के लिये यादगार लम्हा रहा। इस पल को कैमरों और अपनी यादों में कैद करने के लिये मीडिया और कैडेटस के परिवार के लोग मौजूग रहे।

तीन घंटे चली इस परेड के मुख्य आकर्षण रहे परेड निरीक्षण, स्वाॅर्ड आॅफ हाॅनर, पाईपिंग और ओथ टेकिंग सेरेमनी जो कि चेटवुड हाॅल के लाॅन मे हुई। इसके बाज सभी नये अधिकारियों ने  “कदम कदम बढ़ाये जा” के स्वरों से आसमान भर दिया और सेना में मौजूद जोश और जज़्बे की मिसाल पेश करी। एक बार फिर भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून ने भारतीय सेना को वीरों से वीर अधिकारी देने के अपने चलन को बरकरार रखा और ये साबित कर दिया कि आईएमए आज भी दुनिया के बेहतरीन सैनिक ट्रैनिंग इंस्टिट्यूटों मे से एक है।

आईएमए पीओपी के चलते सारे देहरादून को छावनी में तब्दील कर दिया गया था। आईएमए के आसपास का सारा इलाका आम यातायात के लिये बंद था वहीं शहर के कई अन्य रास्तों में फेर बदल किया गया था।