संस्कृत के बिना भारत को समझना मुश्किल : मुख्यमंत्री

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उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गुरुवार को विश्वनाथ धाम आश्रम में देववाणी परोपकार मिशन द्वारा आयोजित छठा संस्कृत सम्मेलन का दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारंभ किया।

संस्कृत के महत्व को बताते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि संस्कृत के बिना भारत को समझना अत्यंत कठिन है, क्योंकि भारत का ज्ञान भारत का विज्ञान सब संस्कृत में लिखा गया है। उन्होंने कहा कि आज बहुत से आविष्कार ऐसे हैं जिनका हमारे वेदों में संस्कृत भाषा में बहुत पहले ही बता दिया गया था। संस्कृत के विषय में सिर्फ संस्कृत के विद्यार्थी एवं अध्यापकों को ही नहीं विचार करना है, बल्कि यह एक सामूहिक चिंता का विषय है, लेकिन मैं एक बात कहना चाहता हूं की आने वाला भविष्य संस्कृत का ही है।
उन्होंने बताया कि पोलैंड से आए एक दल ने हमें बताया था कि उनके यहां संस्कृत पढ़ाई जा रही है, धीरे-धीरे आने वाले समय में उसे अनिवार्य कर दिया जाएगा। दल ने बताया कि संस्कृत अहिंसा को पैदा करती है, हिंसा की प्रवृत्ति को रोकती है, इसलिए आज संस्कृत की मान्यता बढ़ती जा रही है।

मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि संस्कृत को कंप्यूटर के लिए सबसे उपयुक्त भाषा बताया गया है। आज हमें संस्कृत के ज्ञाताओं की आवश्यकता है। उन्होंने संस्कृत के संरक्षण के लिए ठोस कार्य योजनाओं बनाने की बात कही। उन्होंने कहा कि यह सरकार की जिम्मेदारी है कि सरकार संस्कृत को संरक्षण दे, बढ़ावा दे, और सरकार इसके लिए प्रयासरत है।