कांवड़ मेले में दुर्घटनाओं का सबब बन रहा नशा

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    कांवड़ मेले के दौरान तीर्थनगरी में बम-बम भोले के जयकारों के साथ हरिद्वार और ऋषिकेश इन दिनों शिवभक्ति के रंग में रंगे हैं, लेकिन भक्ति के इस अनूठे संगम में रोजाना कई शिवभक्त अपनी जान गंवा रहे हैं। कभी गंगा में डूबकर तो कभी ट्रेन की छत पर बैठकर, कभी खतरनाक तरीके से गाड़ी चलाकर तो कभी पुलिसकर्मियों से भिड़कर, इस सभी हादसों की जो वजह सामने आई है वह है नशे की प्रवृत्ति। जानकारी के अनुसार, जितने लोग भी इन हादसों और मामलों में सामने आये हैं वह ज्यादातार नशे की हालत में ही पाये गए हैं। हरिद्वार-ऋषिकेश में इस कांवड़ मेले में करोड़ों रुपये के नशे का कारोबार हो रहा है।

    कांवड़ मेले में लाखों शिव भक्त गंगा जल लेकर सैकड़ों किलोमीटर की पैदल यात्रा कर हरिद्वार-ऋषिकेश पहुंचते हैं लेकिन भक्ति और श्रद्धा के इस विशाल मेले में आस्था के नाम पर चल रहा है काले सोने यानि चरस का काला कारोबार। अवैध रूप से कांवड़ मेले में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किए जा रहे हैं चरस, गांजे जैसे मादक पदार्थ। कांवड़िये इन दिनों इनका खुलकर उपयोग कर रहे हैं और प्रशासन इस पर कोई रोक नहीं लगा पा रहा है।
    हरिद्वार नगरी में कांवड़ियों को चरस-गांजे के दम लगाते हुए देखा जा सकता है। सिगरेट और चिलम में दम लगाते हुए और धुंआ उड़ाते हुए कांवड़ियों की टोली कांवड़ मेले में जगह-जगह देखी जा सकती है। कहने को तो सभी जगह सुल्फा, चरस व गांजे जैसे नशे के पदार्थों की बिक्री और उनके इस्तेमाल पर प्रतिबंध है पर कांवड़ मेले में इनका उपयोग आम है और वह भी पुलिस की नाक के नीचे।
    कांवड़िये यात्रा के दौरान सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा पैदल ही पूरी करते हैं। कांवड़ियों का मानना है कि लगातार लम्बी यात्रा के दौरान थकावट आदि से बचने के लिए ही वह इसका सेवन करते हैं। कांवड़िये सुल्फे, चरस को भोले शिव की बूटी कहते हैं। वह कहते हैं कि ये तो भोले का प्रसाद है। इसके सेवन से ये सफर कैसे कट जाता है इसका पता ही नहीं चलता है। भले ही कांवड़िये इसे भोले का प्रसाद मानकर इसका सेवन करते हों, किन्तु भोले जैसा आचरण कोई नहीं करता।
    कांवड़ियों का कहना है कि सुल्फा या चरस का सेवन करने के बाद उनपर मस्ती का खुमार छा जाता है और फिर तो वो पूरी तरह से भोले की मस्ती में मस्त होकर चलते रहते हैं।
    उधर, पुलिस नशे के इस काले धंधे को रोक पाने में पूरी तरह नाकाम रही है। हालांकि पुलिस अधिकारी लगातार दावे कर रहे हैं कि वह इन पर निगाह रखे हुए हैं। ड्रग माफिया चरस को काला सोना के नाम से पुकारते हैं। काले सोने का कारोबार कांवड़ के इन 15 दिनों में खूब फलता-फूलता है। हालांकि, पुलिस ने हर साल बढ़ रहे इस नशे के प्रचलन को देखते हुए साधू-संतों से भी अपील की है कि वह शिव भक्तों को समझाएं कि वह ऐसा ना करें साथ ही ये सब बेचने वाले पर भी कड़ी निगरानी से नजर भी रखे हुए हैं।