1877 में अस्तित्व में आए लैंसडाउन का प्रतिबिंब है ‘कालौडांडा: ए मिस्ट्री इन द फाॅग’

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साहित्यिक व सामाजिक सरोकारों के लिए प्रतिबद्ध संगठन पदचिन्ह परिवार के तत्वाधान में कर्नल राम सिंह बिष्ट की पुस्तक ‘कालौडांडा: ए मिस्ट्री इन द फाग’ का भव्य लोकार्पण गढ़ी कैंट स्थित डीएसओआई क्लब में हुआ।
लोकार्पण समारोह के मुख्य अतिथि भाजपा के राष्ट्रीय सचिव व उत्तराखंड के पूर्व अध्यक्ष तीरथ सिंह रावत मुख्य ने कहा कि लैंसडाउन अपनी नैसर्गिक सुंदरता और मौसम की विविधता के रहते हमेशा देश का मुख्य पर्यटन स्थल बना रहेगा। ब्रिटिश काल में स्थापित यह नगर आज भी शिक्षा का केंद्र बना हुआ है और गढ़वाल की तमाम लोकप्रिय प्रतिभाओं का लैंसडाउन से गहरा रिश्ता रहा हैै। लैंसडौन के आसपास ताड़केश्वर धाम, रिखणीखाल, कालेश्वर, भैरवगढ़ी आदि हमेशा लोकप्रिय व कालजयी स्थल बने रहेंगे। भले ही आज मसूरी जैसे नगर अतिक्रमण के चलते अपना वैभव खोने लगे हैं।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि, उत्तरांचल प्रेस क्लब के अध्यक्ष नवीन थलेड़ी ने सैन्य अधिकारियों का आह्वान किया कि वे अपने विशिष्ट अनुभव और सफलताओं का लोकहित में पुस्तक के रूप में योगदान करते रहें। समाज और युवाओं की प्रेरणा के लिए आर्मी अधिकारी अपनी सफलतायें अवश्य शेयर करें।
स्व. ब्रिगेडियर बलवंत सिंह बिष्ट की धर्मपत्नी सुशीला बिष्ट ने कर्नल राम सिंह बिष्ट की बहुमुखी प्रतिभा का परिचय कराया। संदीप एम खनवलकर ने कालोडांडा: ए मिस्ट्री इन द फाग का प्रभावी रिव्यू श्रोताओं के सामने प्रस्तुत किया। पदचिन्ह परिवार के संयोजक भूपत सिंह बिष्ट ने बताया कि 1877 में अस्तित्व में आए लैंसडौन (कालौडांडा ) ब्रिटिश गढ़वाल का अनुपम व श्रेष्ठतम नगर रहा है। इस नगर को जिस नजरिए से कर्नल राम सिंह बिष्ट ने देखा, समझा और परखा, उसी को उन्होंने एक रूपक के अंदाज में पुस्तक रूप में पेश किया है। उन्होंने कहा कि गढ़वाल राइफल रैजिमेंटल सेंटर के रूप में विख्यात इस नगर से कई मिथक जुड़े हैं और उस के अनेक अनछुए पहलुओं को बिष्ट ने इस पुस्तक में स्थान दिया है। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक अध्येयताओं के लिए उपयोगी सिद्ध होगी। कार्यक्रम की अध्यक्षता रमेश पंत ने और संचालन विजय नेगी ने किया। पुस्तक का प्रकाशन विनसर पब्लिशिंग हाउस ने किया है। इस मोके पर जिला पंचायत सदस्य पौड़ी केशर सिंह नेगी, रतन असवाल आदि मौजूद रहे।