देहरादून। केदारनाथ में वर्ष 2013 में आई प्राकृतिक आपदा के बाद से यहां के निर्माण कार्यों को लेकर धर्म से लेकर सत्ता के गलियारे के बीच आए दिन सवाल उठते रहते हैं। एक तरफ सत्ता में बैठी हर सरकारें कार्यों को गति देने की बात करती हैं, तो दूसरी ओर निर्माण कार्यों की गुणवत्ता पर सवाल उठता रहता है, लेकिन इसके लिए जिम्मेदार अधिकारी जवाब देने से हमेशा बचते रहते हैं।
केदारनाथ पुर्ननिर्माण के दौरान नेहरू पर्वतारोहण संस्थान को 200 किलोवॉट की एक अति लघु परियोजना बनानी थी, लेकिन यह समय पर पूरी नहीं हो पाई। इतना ही नहीं अब इस परियोजना की गुणवत्ता पर भी सवाल उठाये जा रहे हैं। निम केदारनाथ में बन रही 200 किलोवॉट की अति लघु परियोजना को लेकर मुख्य सचिव के पास एक शिकायती पत्र पहुंचा है। पत्र खुद केदारनाथ के विधायक मनोज रावत ने लिखा है। जिसका संज्ञान लेते हुए मुख्य सचिव ने जांच के आदेश दिए हैं।
अपर सचिव वैकल्पिक ऊर्जा ने उरेडा के निदेशक को 22 नवम्बर को एक पत्र लिखा है। इस मामले की जांच 15 दिनों के अंदर पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं।
उरेडा की ओर से कई बार निम को इस परियोजना को लेकर पत्र भी लिखे, लेकिन नेहरु पर्वतारोहण संस्थान की तरफ से इसका कोई जवाब नहीं मिला। इस पूरे मामले को लेकर अभी तक लगभग आठ पत्र निम के प्रधानाचार्य कर्नल कोठियाल को भेजे जा चुके हैं लेकिन उन्होंने एक भी पत्र का जवाब देना जरूरी नहीं समझा। इसके बाद खुद डीएम रुद्रप्रयाग ने 23 अक्टूबर को एक कड़ा पत्र कर्नल कोठियाल को भेजा, फिर भी इस पत्र का जवाब नहीं मिल सका है।
इस संबंध में केदारनाथ के विधायक मनोज रावत ने बताया कि उन्होंने इस परियोजना का जब जायजा लिया तो कई खामियां देखने को मिली। इस परियोजना से जून 2015 में बिजली उत्पादन होना था लेकिन अभी तक परियोजना पूरी नही हो पाई है। ऐसे में इस परियोजना पर सवाल उठना लाजमी है।