भराड़ीसैण, विधानसभा सत्र के दूसरे दिन जहां सदन के अंदर किडनी कांड पर प्रतिपक्ष ने हंगामा खड़ा किया और राज्य मंत्री रेखा आर्य को बचाने का आरोप सरकार पर लगाया, वहीं विधानसभा भवन परिसर में अजीब सा सन्नाटा दिखा। पिछले विधानसभा सत्रों के दौरान जहां परिसर में अनुमति से आये लोगों की अच्छी खासी संख्या दिखती थी और सदन के अंदर क्या हो रहा है, इसकी जिज्ञासा के लिए स्थानीय लोगों के साथ-साथ अन्य लोग भी जुटे रहते थे। इस बार ऐसा नहीं दिखा।
विधानसभा परिसर से चार किमी पहले ही बिना प्रवेश-पत्र धारियों को रोक दिया गया था। पिछले तीन विधानसभा सत्रों के दौरान ऐसा माहौल था कि विधानसभा भवन तक विधायकों व अन्य के साथ लोग विधानसभा की कार्यवाही के साक्षी बनने और परिसर तक पहुंचने की अनुमति लेकर पहुंचे थे। मगर इस बार यह संख्या अपेक्षाकृत कम रही। आसपास के ग्रामीणों में इस बात का गुस्सा दिखा कि उनकी ही जमीन पर उन्हें नहीं आने दिया जा रहा है। पलवाड़ी, संणकोट समेत कई गांवों के प्रधान और महिलाओं ने कहा कि हमारे चारागाह की जमीन पहले विदेशी पशु प्रजनन केंद्र के लिए दी गई थी तब स्थानीय लोगों को रोजगार देने की बात कही गई थी, वह भी नहीं हुआ अब तो यहां आने भी नहीं दिया जा रहा है। ग्राम प्रधान बोले कि हमारे गांव का पानी भी हमें नहीं मिल पा रहा है।
विधानसभा परिसर के बाहर भले ही सन्नाटा था मगर सदन के अंदर खासी गर्मी दिखी। मीडिया के कैमरे सदन के बाहर परिसर में नेताओं के प्रतिक्रिया की बाट जोहते दिखे। इधर रास्ते में रोके गये आंदोलनकारियों का कहना था कि सत्र के साक्षी बनने के लिए जब उत्तराखंड के लोग ही नहीं तब यह कैसा सत्र।
माले के इंद्रेश मैखुरी ने कहा कि राजधानी के मुद्दे पर कांग्रेस-भाजपा एक जैसे हैं। इसलिए स्थानीय लोगों को अब सत्र से कोई उम्मींद भी नहीं रही। राजधानी मसले पर यही हाल है।