राज्य सरकार एैरोमैटिक खेती करने वाले किसानों को देगी समूह आधारित लोन

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देहरादून। कृषि एवं उद्यान मंत्री उत्तराखंड सरकार सुबोध उनियाल द्वारा सेलाकुई स्थित कैप सेन्टर फाॅर एैरोमैटिक प्लांट-सगंध पौध केन्द्र में एैरोमैटिक प्लांट पर आयोजित कार्यशाला में प्रतिभाग करते हुए किसानों को सम्बोधित किया।

मंत्री ने किसानों से आग्रह किया कि अब खेती करने का तरीका बदलना होगा। खेती समूह में करनी होगी, साथ ही जंगली जानवरों वाले बाहुल्य क्षेत्रों में एैरोमैटिक, आयुर्वेदिक और नकदी फसलें लगानी होगी। उन्होंने घोषणा की कि राज्य सरकार एैरोमैटिक खेती करने वाले किसानों को समूह आधारित दो प्रतिशत पर लोन सुविधा, निशुल्क प्रशिक्षण, बीज, आपूर्ति स्थानीय स्तर पर कलस्टर स्थापित करते हुए वहां पर शर्टिग बांडिंग, मार्केटिंग, फूड प्रोसेसिंग इत्यादि में हर तरह मदद करेगी। उन्होंने कहा कि हमें उन फसलों की ओर बढना होगा, जिनके लिए कच्चा माल स्थानीय स्तर पर ही उपलब्ध हो और स्थानीय स्तर पर ही मांग हो। उन्होने उदाहरण देते हुए कहा कि हमारे चारधामों और अनेक मंदिरों में फूल बडे़ पैमाने पर दिल्ली और अन्य बाहरी बाजारों से आयात होता है, इसी तरह अन्य वस्तुओं का भी आयात होता है तो ऐसी वस्तुओं सामग्री की आपूर्ति यदि स्थानीय स्तर पर पूरी हो जाय तो स्थानीय लोगों की आर्थिकी सुधरेगी उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि पांच लाख एकड़ क्षेत्र पर और पांच लाख किसानों को जोड़ने का लक्ष्य रखें साथ ही उसे पूरा भी करें। इसी प्रकार जैविक, हर्बल आदि उत्पादों को भी लक्ष्य तय करते हुए प्रस्ताव बनाएं, जो केन्द्र सरकार का भी विजन है। कार्यशाला में सचिव कृषि व उद्यान डी सैंथिल पांडियन ने कहा कि केंद्र सरकार वित्तपोषित किसानों और काश्तकारों का लाभ वाली अनेक योजनाएं हैं और उनका सही लाभ तभी मिल सकता है। जब समूह में खेती होगी, एक जगह एक जैसी खेती होगी, उत्पाद से लेकर विपणन तक अलग-2 समूह बनेंगे, जिससे एक ओर तो योजनाओं के क्रियान्वयन में आसानी होगी, दूसरी ओर समूह में पर्याप्त वित्तीय और अन्य प्रकार की सहायता देने में असानी होगी। उन्होंने कहा कि यदि किसानों को अपनी आय बढानी है तो उनको एक साथ एक कलस्टर आधारित चलना ही पड़ेगा, जिससे सरकार को विभिन्न संशाधन ने में आसानी होगी और एक जगह एक जैसी खेती से उत्पादन से लेकर विक्रय तक किसानों की ही भूमिका रहने से बिचौयिलों द्वारा अनावश्यक लाभ नही उठाया जा सकेगा। उन्होने कहा कि कलस्टर आधारित एक जैसी खेती इन्टरक्रौप और बहुत से आयामों कृषि, बागवानी, पशुपालन, डेयरी, कुटीर उद्योग, हथकरघा हस्तशिल्प, फूड प्रोसेसिंग, एैरोमैटिक, आयुर्वेदिक इत्यादि में अधिक लाभ कमाने के लिए कलस्टर केन्द्र, विक्रय केन्द्र, मार्केटिंग इत्यादि सभी एक जगह एक साथ होना जरूरी है। इस अवसर पर अपर सचिव उद्यान मेहरबान सिंह बिष्ट, निदेशक संगध पौध केन्द्र सेलाकुई नृपेन्द्र चैहान सहित भारी संख्या में किसान एवं काश्तकार उपस्थित थे।