पर्यावरण संरक्षण के लिए ”द ग्रीन वोट बैंक मुहिम”

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द ग्रीन वोट बैंक मुहिम,देहरादून के शिक्षित छात्रों के ग्रुप मैड (मेकिंग ए डिफ्रेंस बाई बिंग द डिफ्रेंस) की एक उम्दा पहल है।जून 2011 में इस ग्रुप की स्थापना के बाद नीति सिफारिशों के माध्यम से शहर की काया पलट करने का जिम्मा इन छात्रों ने उठाया और इनके पहल से देहरादून की छवि काफी सुधरी है,और इतना ही नहीं इस ग्रुप ने मेयर और मुख्यमंत्री से अपने ग्रीन एजेंडा के लिए सक्रिय सहायता भी ली है।पिछले 6 साल में इस ग्रुप ने लगभग 500 गतिविधियां की है जैसे कि सफाई के लिए जागरुकता अभियान,दूषित दीवारों को साफ करने का अभियान,पर्यावरण संरक्षण के लिए पौधा लगाओ अभियान आदि।

अब जब राज्य में चुनावों का माहौल है,राजधानी देहरादून में मैड ने एक और पहल की है ग्रीन पालिटिक्स की।मैड के एक्टिविस्ट ज्यादातर 15-23 साल के उम्र के घेरे में आते हैं और इसमें 50 एक्टिव सदस्य है और कुल 14,000 सदस्य है जिनमें से कुछ फेसबुक से जुड़े है कुछ आनलाईन और कुछ आफलाईन कैंपेन से जुड़े है।इस वोट बैंक की मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए काफी लोग जुड़ रहें क्योंकि ग्रीन वोट बैंक इस तरीके का पहला मुहिम है।

उद्देश्य- कम से कम 10,000 वोटर-मुख्यतः पहली बार मतदान करने वाले,जो अपने वोट को पर्यावरण संरक्षण के लिए सर्मपित कर सके और ऐसे उम्मीदवार को चुन सके जो इस मुहिम में ग्रुप मैड का साथ दे सके।इस बात को ध्यान में रखते हुए मैड के सदस्यों ने ग्रीन वोट बैंक फेसबुक पेज भी शुरु किया है जिसे इन्होंने गूगल के फार्म से लिंक किया है जिसको कोई भी आनलाईन भर सकता है और गांधी पार्क,एस्ले हाल,आई एस बी टी जैसी फेमस जगहों में इन्होंने अपना कैंप लगाया हुआ है, जिसमें कोई भी जाकर इस मुहिम का हिस्सा बन सकता है।इस मुहिम के जरिए यह ग्रुप चाहता है कि भाग दौड़ की जिंदगी से कुछ समय निकालकर जनता एक संयोजित कदम उठा सके जिसका फायदा सिर्फ आज की जेनरेशन के साथ साथ आने वाली पीढ़ी को भी हो।

यह ग्रुप अबतक दून के 5000 लोगों तक पहुंच चुका है,जो एक बहुत सम्मोहित करने वाला रिस्पांस है। यह कैंपेन 3 हफ्ते पहले फेसबुक के माध्यम से शुरु हआ जिसमें लोगों की फोटो चिपका के उसपर यह लिखा कि, ‘मैं ग्रीन वोट के लिए कसम खाता हूं।’ ना सिर्फ युवा वर्ग बल्कि हर उम्र के लोगों ने बढ़ चढ़ कर मुहिम में ग्रुप का साथ दे रहें हैं। सीनीयर सिटिजन देवेश पांडे कहते हैं, “मैं पहले अपना वोट अपनी पसंद और अपनी वैचारिक सोच पर देता था लेकिन अंत में सभी नेता एक जैसे ही सिद्ध होते हैं तो क्यों ना इस चुनाव में एक मुद्दे को ध्यान मे रखकर वोट दिया जाए।”

शहर में काम करने वाले कुछ संस्थाएं जैसे कि राजपुर कम्यूनिटी इनिशिएटिव,आईना एक थिएटर ग्रुप और बहुत सारे संस्थाओं ने इस मुहिम को पूरा सर्मथन दिया है।मैड के सदस्यों ने यह योजना बनाई है कि वो पहले अपने मुहिम को एकजुट होकर ताकतवर बनाऐंगे और तब राजनितिक पार्टियों से बातचीत करेंगें और जो उम्मीदवार इनके ग्रीन एजेंडा को समझेगा और इनके नियमों पर चलने का दावा करेगा उसी उम्मीदवार को यह ग्रुप अपना ग्रीन वोट बैंक देगा और उसी पार्टी को इनका सर्मथन मिलेगा।

मैड के फाउंडिंग प्रेसिडेंट अभिजय नेगी कहते हैं,’वोट बैंक का अब तक एक नकारात्मक रुप देखा गया है।आप इस शब्द को हमेशा गलत कामों के लिए सुनेते होंगे लेकिन हमारी कोशिश है कि हम इस शब्द को सकारात्मक मीनिंग दे सकें-हम चाहते हैं कि नागरिक चुप ना रहें,एक कोशिश करें कि सरकार उनकी बातों को समझें और उनकी बात को संगठित रुप से माने और उसपर विचार करके कुछ अच्छा बदलाव कर सकें।”

हम ग्रुप मैड को उनके इस प्रेरणादायक कदम के लिए बधाईयां देते हैं।