नवरात्र प्रारम्भ होते ही त्यौहार का मौसम शुरू हो जाता है। नवरात्र से दो माह तक लगभग प्रत्येक दिन कोई न कोई पर्व व त्यौहार सनातन संस्कृति में मनाया जाता है। नवरात्र से प्रारम्भ होकर भैया दूज तक त्यौहारों की फेहरिस्त चलती ही रहती है। हालांकि करवा चौथ का व्रत रविवार को मनाया जाएगा, किन्तु करवा चौथ की रौनक बजारों में अभी से दिखाई देने लगी है। दशहरा के समाप्ति के बाद दीपावली से पूर्व करवा चौथ का पर्व मनाया जाता है।
कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाए जाने वाले करवा चौथ को सुहागिन महिलाओं द्वारा बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस बार यह पर्व आठ अक्टूबर को मनाया जिसकी तैयारियां महिलाओं ने अभी से शुरू कर दी हैं। करवा चौथ के मौके पर महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना करते हुए दिनभर व्रत रखती हैं। इसके बाद वे रात को चांद का दीदार करके व्रत तोड़ती हैं।
ज्योतिषाचार्य पं. प्रदीप जोशी के अनुसार, करवा चौथ के संबंध में पूर्ण विवरण वामन पुराण में दिया गया है। महिलाएं करवा चौथ के दिन शिव, पावर्ती और कार्तिक की पूजा-अर्चना करती हैं। इसके बाद वे शाम को छलनी से चंद्रमा और पति को देखते हुए पूजा करती हैं तथा चन्द्रमा को अघ्र्या देकर चांद का दीदार करने के बाद महिलाएं पति के हाथों पानी पीकर अपना व्रत तोड़ती हैं।
पं. जोशी के अनुसार इस वर्ष आठ अक्टूबर को पड़ने वाले करवा चौथ का शुभ मुहूर्त शाम 6.16 मिनट से शुरू होकर शाम 7.30 मिनट तक पड़ रहा है। वहीं, इस दिन चंद्रोदय का समय रात 8.40 मिनट पर बताया जा रहा है। पति की लंबी उम्र के लिए रखा जाने वाला करवा चौथ का व्रत तकरीबन सभी महिलाएं रखती हैं।