चैत के आगमन पर उत्तराखंड में फूलदेई त्यौहार को बड़े हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है। धीरे धीरे परंपरा शहरीकरण के चलते विलुप्ति की कगार पर पहुँच गयी है। एक बार फिर इस त्यौहार को बचाने के लिए बुद्धिजीवी लोगों ने और समाजसेवियों ने अपने प्रयास शुरू किये है। उड़ान स्कूल में भी ये त्यौहार मनाया गया जिसमें मिस पैसेफिक ने शिरकत की।
चैत के आगमन पर उत्तराखंड में फूलों की बयार आ जाती है, जंगल और वनों में बुरांस, फ्यूंली अपने रंग बिखेरने लगते है। ये महीना चैत के आगमन का महीना होता है जिसमे कई लोक-गीत और कविताएं भी शामिल होती हैं और ये लोकगीत हमारी परंपरा से जुड़ी होती है। ऐसे में लोक गायक नई गीतों की रचना करते हैं। और नई कविताएं जन्म लेती है और प्रकृति फूलों के श्रंगार से सज जाती है ऐसे में फूलदेई त्यौहार मनाया जाता है।
ऋषिकेश स्थित निःशुल्क संस्थान उड़ान में भी फूलदेई का त्यौहार बड़े धूम-धाम से मनाया गया जिसमें छोटे-छोटे बच्चों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। कार्यक्रम में मिस एशिया पैसेफिक अनुकृति गुसाई ने शिरकत की और बच्चों के साथ फूलदेई त्यौहार मनाय। साथ ही उन्होंने बच्चों को मुफ्त कॉपी-किताब बांटी। मीडिया से बात करते हुए अनुकृति गुसाईं ने बताया कि वो उड़ान स्कूल से 2013 से जुडी हुई है और हर बार यहाँ बच्चों के साथ वक्त बिताकर उन्हें बेहद अच्छा लगता है। जहाँ बेहतर शिक्षा और रोजगार की तलाश में लोग शहरों का रुख कर रहे है ऐसे में लोग अपनी संस्कृति से भी दूर होते जा रहे हैं। जिससे आने वाली पीढ़ी अपनी गढ़वाल की संस्कृति से अछूती रह जाती है। लगातार पहाड़ो से हो रहे पलायन के साथ कहीं न कहीं हमारी संस्कृति भी पलायन कर रही है ऐसे में समाजसेवी द्वारा ऐसे कार्यक्रम का आयोजन करना उस संस्कृति में जीवन डालने जैसा प्रतीत होता है,जिससे हमारी संस्कृति को हम बाकी लोगों के साथ भी साझा कर सकते है और आने वाली पीढ़ी भी अपनी संस्कृति से रूबरू हो सकेगी।