(हरिद्वार)उत्तराखंड में बेलगाम अफसरशाही का यह आलम है कि वह अपने ही विभाग की न्यायिक सलाह को दरकिनार करते हुए काम कर रहे हैं। इसका ताजा मामला हरिद्वार में देखने को मिला। आरटीआई में इस बात का खुलासा हुआ कि टीएसआर के अधिकारी अपने विभाग की कानूनी सलाह को दरकिनार करते हुए काम कर रहे हैं। मामला खनन से जुड़ा है।
दरअसल औद्योगिक विभाग ने अपने विभाग की विधिक राय के इतर हरिद्वार में स्टोन क्रेसर खोले जाने की बात सामने आ रही है। अपनी मांगों को लेकर पिछले 38 दिन से अनशन कर रहे मातृ सदन के आत्मबोधानंद के गुरु स्वामी शिवानन्द सरस्वती ने आरटीआई में मांगे गये जवाब के आधार पर इस बात का खुलासा किया हैं। बुधवार को मातृसदन में पत्रकारों से बात करते हुए बताया कि उनके द्वारा औद्योगिक विभाग एवम् सरकार के विधिक सलाहकार विभाग को आरटीआई के माध्यम से पूछा था कि आपके द्वारा खनन व स्टोन क्रेसर खोले जाने को लेकर क्या विधि राय दी गयी थी। जिसका जवाब देते हुए दोनों विभाग द्वारा भेजे गये पत्रों के आधार पर स्वामी शिवानन्द ने बताया कि उत्तराखंड में बेलगाम अफसरशाही का यह आलम, औद्योगिक विभाग द्वारा न्याय विभाग से राय मांगी गयी थी कि खनन खोले जाने को लेकर न्याय विभाग की राय क्या है। जिस पर उत्तराखण्ड सरकार के न्याय विभाग ने साफ लब्जों में लिखा है कि चूंकि खनन का मामला एनजीटी, सीपीसीबी और हाईकोर्ट में चल रहा है इसीलिए सरकार को उचित फोरम पर जा कर ही उक्त मामले में कोई निर्णय लेना उचित होगा। मातृ सदन ने इस संबध में एडवोकेट जनरल और औद्योगिक विभाग से पत्र लिखकर जवाब मांगा हैं।
मातृ सदन के परामाध्यक्ष स्वामी शिवानंद का कहना है कि मातृ सदन में अपनी मांगों को लेकर तपस्या कर रहे आत्मबोधानंद की हत्या का षडयंत्र किया जा रहा है। उन्हांेने बताया कि शनिवार को आये एसडीएम ने देहरादून से डॉक्टर आने की बात कही थी लेकिन नहीं आया।
शिवानंद ने बताया कि दरअसल गंगा पुत्र निगमानंद की मौत को लेकर जांच में कई बड़े लोगों के नाम सामने आ सकते हैं। इसलिए इस तरह का षड़यत्रं करके मातृ सदन को नष्ट करने का प्रयास किया जा रहा है।