एक निर्णय अत्याशित है| कोई यह स्वप्न में भी उम्मीद नहीं कर सकता था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी सरकार में निर्मला सीतारमन का प्रमोशन करते हुए उन्हें कैबिनेट मंत्री के तौर पर रक्षा मंत्री की अहम जिम्मेदारी सौंपेंगे। किंतु अपने स्वभाव के अनुसार ही उन्होंने ये निर्णय कर सभी को एक बार फिर चौंकाया है। वस्तुत: यह भारत के संदर्भ में पहली बार हुआ है कि यहां उसका कोई रक्षामंत्री महिला वह भी पहली फुल टाइम रक्षा मंत्री है, क्योंकि महिला स्तर पर पूर्व में रक्षा विभाग प्रधानमंत्री रहते हुए इंदिरा गांधी ने दो बार अपने पास रखा था।
प्रधानमंत्री मोदी एवं उनकी पार्टी द्वारा लिया गया यह निर्णय बताता है कि वास्तव में वे महिलाओं को आगे लाने की सिर्फ बात ही नहीं करते, सच में उन्हें अपने शासनकाल में रहते हुए अहम जिम्मेदारियां भी सौंपते हैं। पूरे मंत्रिमंडल को इस संदर्भ में देखा जा सकता है, सुषमा स्वराज हों, उमा भारती हों या फिर निर्मला सीतारमन सभी की जिम्मेदारियां अहम हैं। लोकसभा की अध्यक्ष भी एक महिला ही हैं।
एक सामान्य परिवार से निकली निर्मला सीतारमन के लिए रक्षा मंत्री बनना निश्चित तौर पर एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। समूचे देश को लेकर यदि इस निर्णय को देखा जाए तो रक्षा मंत्रालय शक्ति और सामर्थ्य का पुंज है| वहां एक ऐसा ही व्यक्तित्व मंत्री के रूप में चाहिए था जो बौद्धिक हो, प्रबुद्ध हो, स्पष्ट वक्ता हो और इसी के साथ निर्णय लेने एवं बिना लागलपेट के अपनी बात रखने ओर मनवाने में सफल हो। एक तरह से देखें तो ये सभी गुण निर्मला सीतारमन में पूरी तरह दृष्टिगत होते हैं। निर्मलाजी की यह रक्षामंत्री तक की यात्रा एक सामान्य परिवार से आरंभ होकर असामान्य एवं श्रेष्ठ स्तर तक पहुँचती है। जो यह संदेश भी देती है कि यदि आपमें क्षमता है तो परिस्थितियां कितनी भी प्रतिकूल क्यों न हों, संसाधन आपके पास हों अथवा नहीं हों, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, आपके कार्य का मूल्यांकन कहीं न कहीं हो रहा होता है और जब वक्त आता है तो आपके किए कार्य ही आपको उत्तम पद एवं प्रतिष्ठा पर सुशोभित करते हैं।
18 अगस्त 1959 को जन्मीं सीतारमन के पिता रेलवे में काम करते थे। उनकी मां एक सामान्य गृहिणी थी। सीतारमन ने अपनी शुरुआती पढ़ाई मौसी के यहां रहकर की। जिसमें उन्होंने 1980 में सीतालक्ष्मी रामास्वामी कॉलेज, तिरुचिरापल्ली, तमिलनाडु से स्नातक की शिक्षा पूर्ण की, फिर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (दिल्ली) से अंतरराष्ट्रीय अध्ययन विषय में एम.फिल. की। वे प्राइसवॉटरहाउस कूपर्स के साथ वरिष्ठ प्रबंधक (शोध एवं विश्लेषण) के तौर पर भी कार्य कर चुकीं हैं। उन्होंने कुछ समय के लिए बीबीसी विश्व सेवा के लिए भी कार्य किया। जब उनके पति लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पीएचडी कर रहे थे, तब सीतारमन ने खाली हाथ बैठने की बजाय लंदन की ऑक्सफॉर्ड स्ट्रीट में हैबिटेट होम डेकोर पर सेल्स गर्ल की नौकरी तक की।
सीतारमन 2006 में भाजपा में शामिल हुई थीं। उन्होंने शिक्षा क्षेत्र की उत्कृष्टता के लिए भी कार्य किया है । वे 2003 से 2005 तक राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य रहीं। इसी के साथ उन्हें भारतीय जनता पार्टी की ओर से निरंतर राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाए रखा गया। केंद्र में सरकार आने के बाद भारत की वाणिज्य और उद्योग (स्वतंत्र प्रभार) तथा वित्त व कारपोरेट मामलों की राज्यमंत्री बनीं, जिसके बाद वे 03 सितंबर-2017 को रक्षा मंत्री बनी हैं।
आज भारत के अतिरिक्त दुनिया के कई देशों में महिलाएं सफलतम रूप से अपने देश का रक्षा मंत्रालय संभाल रही हैं। फ्रांस में फ्लोरेंस पार्ली को देश का रक्षा मंत्री नियुक्त किया गया है। रिपब्लिक ऑफ मैसिडोनिया की सोशल डेमोक्रैटिक यूनियन की नेता रादमिला सेकेरिंस्का यहां रक्षा मंत्री हैं। स्पेन में मारिया डोलोरेस दि कोस्पेदाल सत्तारूढ़ पीपुल्स पार्टी की सेक्रेटरी जनरल को नवंबर 2016 में देश का रक्षा मंत्री बनाया गया, तब से वे इसी पद पर हैं। ऑस्ट्रेलिया में देश की लिबरल पार्टी से सिनेटर मरीस एन पेन को टर्नबुल सरकार ने 2015 में रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी। यूरोपीय देश स्लोवेनिया में एंद्रेजा कटिक के पास देश की सुरक्षा का जिम्मा है। इटली में 2014 से रॉबर्टा पिनोट्टी रक्षा मंत्री के पद पर तैनात हैं। जर्मनी के इतिहास में पहली बार 2013 में ओजोला फर्द वॉन लायेन को रक्षा मंत्री की जिम्मेदारी दी गई जो अब भी बरकरार है। हमारे पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में रक्षा विभाग यहां की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपने पास श्रीमती इंदिरा गांधी की तरह ही रखा हुआ है। इनके अतिरिक्त दक्षिण अफ्रीका, नीदरलैंड, निकारागुआ, केन्या, अल्बानिया, नॉर्वे और बॉस्निया एंड हर्जेगोविना में भी रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी एक महिला के हाथों से ही संचालित हो रही है।
यदि हम भारत की नई रक्षामंत्री एवं अन्य देशों की रक्षामंत्रियों विशेषकर महिलाओं में भी तुलना करें तो हम यही पाते हैं कि निर्मला सीतारमन का देश का रक्षा मंत्री बनाया जाना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का देशहित में और महिला सशक्तिकरण की दिशा में दिया गया सफलतम संदेश है। यह बताता है कि 21 वीं सदी का भारत महिला सशक्तिकारण की ओर बढ़ता भारत है। जहां अब महिलाएं अबला नहीं रहीं। कह सकते हैं कि जिस शक्ति की आराधना हिन्दी के प्रख्यात कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला अपनी कविता राम की शक्ति पूजा में करते नजर आते हैं। इन दिनों देश के क्षितिज पर वही शक्ति आराधना एवं मुख्य दायित्वों से शक्ति को सुशोभित करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नजर आ रहे हैं। आखिर इसका उद्देश्य क्या है ? यह तो आप सभी भलीभांति समझ ही सकते हैं! ‘होगी जय, होगी जय, हे पुरूषोत्तम नवीन।’ कह महाशक्ति राम के वदन में हुई लीन। उपरोक्त कथन राष्ट्र की शक्ति के संबंध में है।