यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) अब हर यूनिवर्सिटी और कॉलेज का रिपोर्ट कार्ड तैयार करेगी। इसके लिए संस्थानों के संसाधनों और सुविधाओं के आधार पर नंबर भी दिए जाएंगे। यह नंबर नैक एक्रिडिटेशन के ग्रेड, साफ-सफाई व अन्य मानकों के आधार पर तय किए जाएंगे. आयोग की ओर से संस्थानों को इसे लेकर निर्देश पहले ही जारी कर दिए गए हैं। लेकिन, प्रदेशभर के हायर एजुकेशन संस्थानों की बात की जाए तो आयोग के तमाम मानकों की परीक्षाओं में यहां के तकरीबन सभी संस्थान फेल साबित होंगे।
यूजीसी ने समय समय पर मानकों के अनुरूप संस्थानों सं सविधाओं और संसाधनों को लेकर जानकारी मांगता रहता है। इन्हीं बिंदुओं पर यूनिवर्सिटीज और कॉलेज को जानकारी देनी होगी।
अयोग ने विभिन्न मानकों के आधार पर संस्थानों के लिए कुल सौ नंबर तय किए गए हैं। इसमें सबसे ज्यादा नंबर नैक एक्रिडिटेशन के लिए 20 नंबर तय किए गए हैं। इसके अलावा आयोग के नए नियम के अनुसार संस्थानों को अन्य सुविधाओं और संसाधनों के लिए भी नंबर दिए जाएंगे। अब जो कॉलेज इन नियमों के अंतर्गत खरा नहीं पाया जाएगा, उनको यूजीसी से प्रदान की जाने वाली फंडिंग से भी हाथ धोना पड़ेगा।
सुविधाओं और संसाधानों की बात करें तो राज्य की तमाम यूनिवर्सिटी और अन्य शिक्षण संस्थान अलग-अलग परेशानियां झेल रहे हैं। इनमें परेशानियों से हटकर सबसे बड़ी परेशानी छात्र-शिक्षक अनुपात है। तकरीबन सभी यूनिवर्सिटीज में छात्रों की संख्या में मुताबिक शिक्षक नहीं है। ऐसे में यूजीसी के मानक पूरा करना सभी यूनिवर्सिटी के लिए टेढ़ी खीर साबित होगा। इसके अलावा वाई फाई कैंपस, स्मार्ट कैंपस आदि मामले में भी यूनिवर्सिटी और कॉलेज फेल साबित होंगे। उत्तराखंड तकनीकि विश्वविद्यालय में जहां वाई फाई कैंपस दूर की कौड़ी है तो वहीं श्री देव सुमन यूनिवर्सिटी के कैंपस का ही कुछ अता पता नहीं। ग्रांट के मामले में भी कई यूनिवर्सिटी पहले ही यूजीसी की फटकार खा चुकी हैं।
राज्य के सबसे बड़े कॉलेज डीएवी पीजी के की बात करें तो यहां तो सुविधाओं के नाम पर छात्राओं के लिए शौचालय तक नहीं हैं, जो हैं वह भी इस हाल में कि उसके बाहर से भी छात्राएं गुजरने से बचती हैं। इसके अलावा कक्षाओं के हालात भी बदतर हालात में हैं। यही वजह है कि विभिन्न छात्र संगठन अव्यवस्थाओं को लेकर आए दिन आंदोलनरत रहते है। ऐसे में यूजीसी के तय मानकों की परीक्षा से गुजरते हुए यह सभी संस्थान कैसे अपना रिपोर्ट कार्ड बेहतर करेंगे यह समझ आसान है।
इस आधार पर आयोग देता है नंबर
– यूनिवर्सिटी व कॉलेजेज को नैक का एक्रिडिटेशन।
– यूनिवर्सिटी और कॉलेज में साफ-सफाई की व्यवस्था।
– संस्थानों में छात्रों की संख्या, शिक्षकों की संख्या और योग्यता।
– संस्थानों में छात्राओं के लिए पीने के लिए आरओ वाटर की व्यवस्था व एटीएम सुविधा।
– यूनिवर्सिटी और कॉलेजेज में फ्री वाई-फाई फेसिलिटी।
– संस्थानों की दीवारों पर छात्रों को प्रेरित करने वाले संदेश की व्यवस्था।
डा. उदय सिंह रावत, वाइस चांसलर, देव सुमन यूनिवर्सिटी ने बताया कि शिक्षा और गुणवत्ता को बढ़ावा देने के लिए आयोग ने यह व्यवस्था की है। नंबर हासिल करने के लिए मानकों के मुताबिक सभी पायदान पार करने होंगे। हमारे पास अभी यूनिवर्सिटी कैंपस ही नहीं है। सुविधाओं और संसाधन के मामले में जो संस्थान बेहतर होंगे उन्हीं को फंडिंग होगी।