मसूरी की 23वी गोली काण्ड के अवसर पर उन 6 शहीदों को याद किया गया जिन्होंने पहाड़ी राज्य उत्तराखंड को एक अलग राज्य बनाने के लिए अपने जीवन को न्यौछावर कर दिया था। 2 सितंबर 1994 को मसूरी में हुए शूटआउट को मसूरी शायद कभी नहीं भूल सकता। यह एक दिन है जब शहीदों के परिवारजन अपना दुख एक दूसरे के साथ शहीद sthal पहुँच कर बांटते हैं। आज से 23 साल यह के छ: लोगों ने अलग राज्य के लिए अपनी जान दे दी थी,शहीद हंसा धनई, बेलमती चौहान, बलबीर नेगी, राय सिंह बंगारी, मदन सिंह मंमगाई और धनपत सिंह।
अाज उनकी याद में शहर भर में अलग-अलग कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता हैं, जैसे कि शहीदों के परिवारजनों और मुख्यमंत्री द्वारा उनकी मूर्तियों पर मालाएं अपर्ण करना, ब्लड डोनेशन, वृक्षारोपण, और सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन होता है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत आज शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद, मालरोड गढ़वाल टेरेस के समीप हिमवंत कवि चंद्रकुंवर बर्त्वाल की प्रतिमा का अनावरण करेंगे।पुराने लोग अाज भी इस गोली काण्ड को भूल नहीं पायें है। प्रोफेसर गणेश सैली उस दिन की यादें कर कहते है कि, “आज भी दिमाग में वह दिन ऐसे ताजा है कि जैसे कल ही की बात हो, अगर उन 6 लोगों ने राज्य के लिए अपनी जान नहीं दी होती तो आज उत्तराखंड एक अलग राज्य केवल एक सपना होता।”
उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन के दौरान पहाड़ों की रानी मसूरी में दो सितंबर 1994 को हुए गोलीकांड के शहीदों की स्मृति में आयोजित श्रद्धाजंलि कार्यक्रम व सर्वधर्म सभा में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत, विधायक गणेश जोशी व प्रीतम पंवार, पूर्व विधायक जोत सिंह गुनसोला, नगरपालिका अध्यक्ष मनमोहन मल्ल, वरिष्ठ कांग्रेस नेता लालचन्द शर्मा, प्रदेश समन्यवक राजेन्द्र शाह, प्रदेश सचिव कांग्रेस कमेटी गिरीश चंद्र, दीप बोहरा, भरत शर्मा, नवीन सिंह पयाल, सुनित राठौर व अन्य शामिल रहे।