शराब की दुकानें खोलने की राह आसान करने के लिए राज्य सरकार ने जिन राज्य राजमार्गों को एक झटके में जिला मार्ग बना दिया, उनके डिनोटिफिकेशन (राज्य मार्ग से जिला मार्ग करना) के साइड इफेक्ट अब सामने आने लगे हैं।
मसूरी में वॉल्वो बस चढ़ाने के लिए जिन 30 हेयर क्लिप बैंड व अंधे मोड़ों को चौड़ा किया जाना है, उनके लिए 44.72 करोड़ रुपये का इंतजाम करना अब सरकार के लिए टेढ़ी खीर हो गया है। शासन से इसका बजट स्वीकृत न होने पर राह निकाली गई थी कि सेंटर रोड फंड से मोड़ों को चौड़ा किया जाएगा और लोनिवि प्रांतीय खंड इस्टीमेट राष्ट्रीय राजमार्ग खंड को भेज दिया गया। हालांकि, तभी अफसरों को याद आया कि यह सड़क तो अब राज्य राजमार्ग की जगह अन्य जिला मार्ग में तब्दील कर दी गई है। दरअसल, सेंट्रल रोड फंड की राशि राष्ट्रीय राजमार्गों के अलावा राज्य राजमार्गों पर ही खर्च की जा सकती है। डिनोटिफिकेशन से पहले की बात होती तो इस काम में कोई मुश्किल नहीं थी, लेकिन अब मसूरी रोड के जिला मार्ग बन जाने के बाद मामले में तकनीकी पेंच फंस गया है। हालांकि, यह भी कम दिलचस्प नहीं कि लोनिवि प्रांतीय खंड से यह इस्टीमेट हाल ही में राष्ट्रीय राजमार्ग खंड रुड़की को भेजा गया है, जबकि हाईवे के डिनोटिफिकेशन आदेश निकले करीब चार माह बीत चुके हैं।
इस मामले में प्रांतीय खंड के अधिशासी अभियंता एएस भंडारी का कहना है “कि एस्टीमेट फिलहाल राजमार्ग खंड के पास है। मसूरी रोड के जिला मार्ग बन जाने के बाद सेंट्रल रोड फंड में बजट किस तरह स्वीकृत होगा”। फिलहाल उनके पास इसका जवाब नहीं।
वहीं, दून-मसूरी रोड के करीब 28 किलोमीटर हिस्से पर वॉल्वो बसों की राह आसान करने के लिए लोनिवि अधिकारी पहले ही 14.57 करोड़ रुपये की भारी-भरकम राशि खर्च कर चुके हैं और मोड़ों की स्थिति लगभग पहले जैसी ही है, क्योंकि लोनिवि अधिकारियों ने जब उत्तराखंड परिवहन निगम अधिकारियों की मौजूदगी में वॉल्वो बसों का ट्रायल कराया तो बसें मसूरी नहीं चढ़ पाईं। इसे निर्थक व्यय बताते हुए कैग भी विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर चुका है। कुछ समय पहले जब कैग मसूरी के मोड़ों पर 14.57 करोड़ रुपये के निर्थक प्रयोग की ऑडिटिंग कर रहा था, उस समय 30 मोड़ फेल करार दिए जाने के बाद चार अन्य मोड़ों पर नए सिरे से कार्य गतिमान था। लोनिवि के अधिशासी अभियंता एएस भंडारी के मुताबिक इन चार मोड़ों पर काम पूरा कर दिया गया है, लिहाजा परिवहन निगम को पत्र लिखा गया कि वह इनके लिहाज से भी वॉल्वो का ट्रायल कर सकता है। हालांकि निगम की ओर से इस पर अभी कोई जवाब नहीं आया।