घरती पर प्रकृतिक सौंदर्य का प्रारूप मसूरी की विंटरलाइन

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मसूरी की विश्व प्रसिध्द विंटरलाइन

Ev’ry night when the winter line is forming

I can hear lonely Allen boys a-calling

Down the pine trees I wanna go exploring

When we sing that Wynberg Allen lullaby.

(1930)

मैं इन लाइनों को काफी लंबे समय से जानती हूँ, लेकिन बचपन से साल के इस समय केवल यही धुन मेरे कानों में गूंजती है- और यह आवाज मेरे कानों में तब गूंजती जब सर्दियां अपनी दस्तक देती हैं। मैं अपने पिता को भी बिना शब्दों के यह धुन गुनगुनाते हुए सुनती हूं और यह धुन विनवर्ग एलेन स्कूल की लड़कियां बोनफायर के पास बैठी होती तब गुनगुनाती हैं।

आज की बात करे तो , जिस भी तरफ मैं जाती हूं, कोई ना कोई ढलते हुए सूरज के सामने होता है- हाथ में एक र्स्माट फोन और और उस पल को अपने कैमरे में कैद करने के लिए एकदम तैयार, सर्दी की खूबसुरती के साथ सेल्फी। जैसे ही सर्दियां दस्तक देती है, एक दहकता हुए आसमान वातावरण के कई चेहरे दिखाता है कभी नारंगी,गुलाबी,लैवेंडर के फूलों का रंग,हल्का बैंगनी तो कभी गहरा लाल रंग। 

मसूरी के नीचे पश्चिम की ओर देहरादून की फैली हुई वादियों की छटा दिखने लगती है जिसकी परछाई की हर तरफ फैली हुई है- विंटरलाईन और उसके ऊपर गिर्डल आफ वीनस है। कहते हैं कि रोमन की देवी विनस एक जादुई कढाई किया हुआ बेल्ट पहनती हैं जो उसके पति स्मीथ-गाड वोल्कन जो देखने में बहुत ज्यादा अच्छे नहीं थे उन्होंनें बहुत प्यार से उनके लिये बनवाई थी।

प्रसिद्ध लेखक गनेश शैली बताते हैं कि- “हमसे हमेशा यह पूछा जाता है कि तुम मसूरी वाले विंटरलाइन के बारे में हमेशा कैसे बोल सकते हो, और मैं हमेशा यही कहता हूं कि काश आज भी वैसी विंटर लाईन होती लेकिन अब नही है वो बात। उस खास चीज के होने के लिए कुछ विशेष माहौल का होना ज़रूरी है। मसूरी प्लेन की वैली से 5000 फीट ऊपर रहते हैं और नीचे गहरी वैली है और वो भी दैहरादून से 30 किलोमीटर की दूरी पर, और वहां का तापमान जो जल्दी जल्दी बदलता रहता है वह हवा में और सुंदर दृश्य बनाता है जिससे कोई नहीं बच सकता, डस्ट, नमीं, धूम कोहरा, और धूआँ सब एक साथ एक लाईन में आकाश मे नजर आते है और साथ में ढ़लता हुआ सूरज इसके पीछे की आकाशीय कतार में।”

मसूरी के अलावा यह दृश्य देखने को मिलता है दक्षिणी हेमिस्फेयर- केप टाउन मे, जहां टेबल टाप पहाड़ एक शेर की तरह दुबक कर बैठा होता है, और क्लीफ्टोन के किनारों और कैंप बे से 3500 फीट उंचाई पर यह द़श्य दिखता है। यहां वह सागर के जल के ऊपर नजर आता है। 

अगली बार जब भी आप कुछ एकदम असली और खूबसूरत और आकाश की सीमा देखना चाहते हैं तो मसूरी की तरफ आईए। लेकिन इस बात का धयान रखे कि गोधूलि बेला से पहले लगभग दिसंबर २२ के आसपास दो यहां सबसे छोटा दिन होता है। यह उतना ही ऊंचा होता है जितना विटर लाईन। जैसे जैसे सूरज आकाश में भंचा उठता है वैसै ही यह लाईन कम होने लगती है। लेकिन निराश न हो। यह फिर एक बार वापस आएगा जैसे आप आऐंगे सालों साल इस स्वागिक और अद्भभुत कुदरत की देन को देखने।