उत्तराखण्ड के नैनीताल स्थित चिड़ियाघर को सैकड़ों खतरनाक और सामान्य वन्यजीव को सुरक्षित रेस्क्यू और उपचार करने का गौरव प्राप्त है । हालाँकि यहाँ के अधिकारी इस खतरनाक काम में उपकरणों की भारी कमी बताते हैं । नैनीताल का चिड़ियाघर काफी लंबे समय से चोटिल, फंसे हुए और नरभक्षी वन्यजीवों को सुरक्षित रखने का बेहतरीन स्थल बना हुआ है । यहाँ जिलेभर से ऐसे जानवरों को रेस्क्यू कर नैनीताल के उच्च स्थलीय वन्यजीव प्राणी उद्यान लाया जाता है । जहाँ चिड़ियाघर के विशेषज्ञ चिकित्सक उनका चिड़ियाघर में उपचार किया जाता है । नैनीताल जू प्रबंधन की रेस्कूय टीम के द्धारा बीते एक वर्ष में तकरीबन 300 जानवारों को रैस्क्यू करके नैनीताल ज़ू लाया गया है । इसी ज़ू में पहाड़ों के इतिहास में पहली बार पहाड़ में बाघ के सफल रेस्क्यू कर उसका यहाँ उपचार किया जा रहा है। यहाँ अब तक यहाँ तेंदुए, हिरन, काँकण, किग कोबरा, बन्दर लंगूर जैसे कई जानलेवा साँपों को भी रेस्क्यू करके नैनीताल ज़ू लाया गया और उपचार के बाद उनके प्राकृतिक वास में छोड़ा जा चुका है ।
भले ही जू प्रबंधन ने अपनी जान को खतरे में डालकर कई सफल रेस्क्यू करके सैकड़ों जानवारों की जान बचाई हो मगर आज भी जू प्रबंधन के पास जानवारों को रेस्क्यू करने वाले उपकरणों का अभाव है । यहीं कारण है कि रेस्क्यू के दौरान वनकर्मी और वन्यजीव दोनों की जान को खतरा बना राहत है । डी.एफ.ओ.धर्म सिंह मीणा बताते हैं कि उन्हें सफल और सुरक्षित रेस्क्यू करने के लिए रेस्क्यू पिकअप और विशेष मोटर साईकिल की जरुरत है । हालाँकि उन्होंने बताया कि सरकार के पास उपकरणों को खरीदने के लिए प्रस्ताव भेजा जा चुका है लेकिन सरकार की तरफ अब तक कोई जवाब नही आया है।