मां नंदा पार्वती को उनकी ससुराल कैलाश पर्वत से मायके में बुलाने लिए की जाने वाली पूजा (आठु) से छानी लवेशाल गांव भक्तिमय है। छानी लवेशाल के ग्रामवासी,1711 (करीब 300 वर्ष) से आठु पूजा की परंपरा को जिंदा रखे हैं। आठ दिन चलने वाली इस पूजा में दूरदराज से लोग शामिल होते हैं।
छानी लवेशाल गांव में चल रहा यह आठ दिवसीय देवी महोत्सव 25 अगस्त तक चलेगा। 26 अगस्त आठ पहर की पूजा के बाद मां नंदा की विदाई होगी। पूजा में झोड़े-जागर गीतों के माध्यम से मां तो बुलाया जाता है। इनके साथ गोलू देव, छुरमुल देव, लाटू देव और दाणु देव भी अवतरित होंगे। मां मुंह में कटार दबाए रौद्र रूप के साथ भक्तों को आशीर्वाद देंगी।
इस पूजा के दौरान हरिजन बंधू जागर गा कर मां का आह्रवान करते हैं। पूजा के अंतिम दिन बड़े मेले ता आयोजन किया जाएगा। 91 वर्षीय दीवान सिंह दोसाद आज भी दाणु देवता के रुप में अवतरित होते हैं। वे बताते हैं कि मां की पूजा से पूरे क्षेत्र की बुरी आत्माएं वर्ष भर शांत रहेंगी और क्षेत्र में कोई विपत्ति नहीं आएगी।