सवालों के घेरे में नारी निकेतन की व्यवस्थाएं

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देहरादून। संवासिनी के साथ दुष्कर्म, गर्भपात की घटना हो या फिर शिशु निकेतन में दो बच्चों की मौत का मामला, हमेशा ही नारी निकेतन की व्यवस्थाएं कटघरे में खडी रही है। हैरत की बात ये है कि एक के बाद एक व्यवस्थाओं पर उठते सवालों के बावजूद शासन या सरकार अति संवदेनशील नारी निकेतन की व्यवस्थाओं को सुधारने में नाकाम साबित हुआ है। इसी का नतीजा है कि खुद नारी निकेतन में रहने वाली संवासियों ने भी चार माह पूर्व घर जाने की जिद को लेकर हंगामा कर दिया था।

सबसे पहले वर्ष 2015 नवंबर में नारी निकेतन में रहने वाली मूक बधिर संवासिनी के साथ वहीं के स्टॉफ ने दुष्कर्म किया और फिर चुपचाप संवासिनी का गर्भपात करा दिया। इसके बाद इस घिनौने अपराध को छिपाने के लिए नारी निकेतन के स्टॉफ से लेकर पूरा विभाग जुट गया। अव्यवस्थाएं यहीं खत्म नहीं हुई इसके कुछ दिन बाद सामान्य संवासिनियों ने घर जाने की जिद को लेकर नारी निकेतन में हंगामा और तोडफोड कर दी। संवासिनियों का आरोप था कि यहां उनके साथ अभद्र व्यवहार होता है। ये मामला ठीक से शांत न हुआ था कि एक माह बाद तत्कालीन अपर समाज कल्याण अधिकारी मनोज चंद्रन द्वारा इसी जुलाई में किए गए बालिका निरीक्षण की रिपोर्ट ने एक और खुलासा कर दिया है। रिपोर्ट शासन को पहुंची तो पता चला कि बालिका एवं शिशु निकेतन के स्टॉफ की लापरवाही से शिशु निकेतन में दो नवजात बच्चों की मौत हो गई और एक सात साल की लडकी अपाहिज होने के कगार पर आकर खडी हो गई। हालांकि इस मामले की गंभीरता को समझते हुए खुद समाज कल्याण मंऋी ने बालिका निकेतन का निरीक्षण करते हुए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा, बावजूद इसके कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए और इसी लापरवाही का नतीजा है कि अब एक साथ पांच लडकियां बालिका निकेतन की व्यवस्थाओं को धत्ता बताते हुए बालिका निकेतन से फरार हो गई।
बाल कल्याण समिति ने उठाए सवाल
बालिका एवं शिशु निकेतन की व्यवस्थाओं पर बाल कल्याण समिति ने भी सवाल उठाए हैं। समिति की ओर से नेहरू कॉलोनी थाने को भेजी गई रिपोर्ट में गोपनीय जांच करने को कहा है। इसमें समिति ने कहा है कि इन बिंदुओं पर जांच करना जरूरी है कि निकेतन से विद्यालय आते जाते हुए ये लडकिया किन किन लोगों के संपर्क में आती है, क्या कोई मानव तस्करी का गिरोह तो बालिका निकेतन में सक्रिय नहीं है।
दिव्यांगों के भरोसे बालिका निकेतन की सुरक्षा
बाल कल्याण समिति ने एक अन्य पत्र जिला प्रोबेशन विभाग को भेजा है। इसमें समिति ने कहा है कि विभाग ने बालिका निकेतन में लडकियों की सुरक्षा के लिए तीन केयर टेकर रखी है, लेकिन ये तीनों ही दिव्यांग है। इनमें सारिका नेत्रहीन व मानसिक रुप से दिव्यांग है। दूसरी कविता पूर्ण रुप से पोलियो ग्रस्त है जो चलने फिरने में असमर्थ है। जबकि तीसरी संवासिनी बीना मूक बधिर है।
लड़कियों का होता है उत्पीड़न
पांच लडकियों के फरार होने के बाद बाल आयोग की सदस्य शारदा त्रिपाठी ने बालिका निकेतन का निरीक्षण किया था। निरीक्षण के बाद उन्होंने बताया था कि बालिका निकेतन में लडकियों का शोषण होता है। उनके साथ अभद्र व्यवहार किया जाता है। साथ ही लडकियों को जो भी संस्था या समितियों की ओर से दान में सामान मिलता है उसे भी छीन लिया जाता है।
समाज कल्याण के निदेशक मेजर योगेंद्र यादव के बताया कि बालिका एंव शिशु निकेतन के स्टॉफ से बडी लापरवाही हुई है। विभागीय जांच में भी लापरवाही सामने आई है। इसलिए निदेशालय ने मामले की जिलाधिकारी की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर जांच कराने की मांग की है।