आज नव रात्रों की पूजा का अंतिम दिन है। आज के दिन ही विष्णु के अवतार भगवान राम का जन्म धरती पर राजा दशरथ के घर हुआ था और आज के ही दिन माँ दुर्गा के नवे रूप सिधिदात्री रूप की पूजा होती है। उत्तराखंड के ज्यादातर हिस्सों में घर-घर में कन्याओ को सिधिदात्री रूप में पूजा कर भोग लगा जिमाया जाता है। हरियाली काट कर नवरात्रों वर्त की समाप्ति की जाती है। ऋषीकेश में भी हर मंदिर और घरो में कन्याओं को पूजा जा रहा है और जगह जगह भंडारे कर मर्यादा पुर्शोतम भगवान राम का जन्म दिन बड़े उल्लास के साथ मनाया जा रहा है।
ऐसे में आपको दर्शन कराते है ऋषिकेश – देहरादून रोड पर घने जंगलों के बीच स्तिथ माँ मन्निच्छा देवी के मंदिर के- उत्तराखंड को माँ गोरी का माएका और ससुराल दोनों कहा जाता है। यहाँ शक्ति के दुर्गा स्वरुप के कई सिद्धपीठ मंदिर है। ऐसा ही एक मंदिर है ऋषिकेश – देहरादून रोड में घने जंगल के बिच माँ मन्निच्छा देवी, जिसमे सिद्धिदात्री माँ गोरी की पूजा की जाती है। मान्यता है की यहाँ के दर्शन मात्र से ही देविमा मन की इच्छा की पूर्ति करती है,इसलिए इसका नाम मन्निच्छा देवी पड़ा। कहते है रात्रि में मंदिर में शेर और बाग़ भी आते है, और हाथी भी समय समय पे श्रद्धालुओं के द्वारा देखे जाते है। घने जंगलों में प्रकृर्ति के बीच यहाँ की छठा अनूपम है जिसकी दर्शन से मन को नयी ऊर्जा मिलती है। श्रद्धालु कहते है की माँ उनकी हर इच्छा की पूर्ति करती है तभी वो हर साल नवरात्रियों में यहाँ आते है।