अमेरिका के साथ भारत के राजनीतिक, कूटनीतिज्ञ, सामाजिक और सांस्कृतिक संबंध समय-समय पर किस तरह से बदलते रहे हैं, यह किसी से छिपा नहीं है। इसके बाद भी इतना तय रहा है कि प्रतिभावान भारतीयों के लिए अमेरिका की धरती किसी स्वर्ग से कम नहीं रही है। कुछ नकारात्मक घटनाओं को छोड़ दिया जाए तो प्राय: जो युवा वहां नौकरी के लिए गए अधिकांश नागरिकता लेकर वहीं बस गए। जो भारत वापस भी आए या जिन्होंने अब तक इन दो देशों के बीच आना-जाना जारी रखा है, वे लगातार भारत को आर्थिक रूप से समृद्ध करने का ही कार्य कर रहे हैं। वर्तमान राष्ट्रपति के पूर्व के राष्ट्रपति ओबामा के साथ भारत के कितने मधुर संबंध हो गए थे, यह बात आज समुची दुनिया जानती है। डोनाल्ड ट्रंप के 45वें अमेरिकन राष्ट्रपति बनने के बाद भारत अमेरिका संबंधों को लेकर जो स्थितियां बनीं, उसके बीच जिस तरह से इन दिनों फिर अमेरिका, भारत के करीब आ रहा है उससे आज इन दो देशों के बीच पहले से ओर ज्यादा अच्छे संबध बनने की आाशा बलवती हो उठी है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से पहली अमेरिका यात्रा भी हो रही है।
डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकन राष्ट्रपति बनते ही जिस तरह से एक के बाद एक निर्णय लिए थे, उसके बाद एकबारगी तो यह लगने लगा था कि उनकी ओर से जा रहे निर्णय भारत को सबसे अधिक नुकसान पहुँचाने वाले हैं। किंतु जब हम एक अमेरिका के राष्ट्रपति का अपने देश के हित में लिए गए निर्णय के हिसाब से सोचते हैं तो लगता है कि उनके सभी निर्णय उनके अपने देश के हित में तो अवश्य हैं, भले ही फिर उनसे दूसरे देशों को कितना भी फर्क क्यों न पड़ता हो । अब समय के साथ बहुत कुछ बदलने लगा है। वस्तुत: जो स्थितियां वर्तमान में दिखाई दे रही हैं, वह पूरी तरह भारत के पक्ष में जा रही हैं। फिर वह आतंकवाद पर अमेरिकन नजरिया हो, पाकिस्तान को आर्थिक मदद न दिए जाने के लिए संसद में विधेयक का आना, उसका आतंकवाद प्रायोजक देश घोषित करने का बिल संसद में पेश होना हो, आर्थिक संबंधों में विशेष व्यापारिक और पेशेवर नौकरियों में भारतियों के साथ प्रमुखता से जुड़ी बातें हों या अन्य इसी प्रकार के संबंधों से जुड़े मामले हों। इन सभी मसलों पर देखा जाए तो अमेरिका आज भारत के हित में खड़ा दिखाई दे रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा के पहले ही भारत को दो मोर्चों पर बड़ी कूटनीतिक सफलता मिली है। दोनों को लेकर भारत सरकार लंबे समय से राजनयिक स्तर पर अमेरिका पर दबाव बना रही थी। पहला यह कि अमेरिका ने भारत को 22 अमेरिकी ‘गार्जियन ड्रोन’ के सौदे को मंजूरी दे दी है। ये ड्रोन अभी सिर्फ अमेरिकी सेना इस्तेमाल करती है, जिसे कि प्राप्त करने के लिए भारत लम्बे समय से प्रयासरत था। इस सौदे को लेकर ट्रंप के पूर्ववर्ती ओबामा प्रशासन ने वादा भी किया था। किंतु अपने कार्यकाल के दौरान ओबामा अपना किया वादा पूरा नहीं कर पाए थे जो अब जाकर ट्रम्प काल में पूरा होने जा रहा है। इसके साथ यह भी जानना जरूरी है कि भारत पहला ऐसा गैर नाटो गठबंधन देश है, जिसे अमेरिका अपनी ड्रोन तकनीक सौंपेगा। इन टोही विमानों को शामिल किए जाने से भारतीय समुद्री सुरक्षा को लेकर नौसेना की खुफिया, निगरानी और टोही क्षमता बढ़ेगी। तत्काल इसका लाभ यह है कि ‘गार्जियन ड्रोन’ से भारत को हिंद महासागर में चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियों पर नजर रखने में काफी आसानी हो जाएगी।
भारत को दूसरी राजनयिक सफलता पाकिस्तान के मोर्चे पर मिली है। अमेरिकी कांग्रेस में पाकिस्तान को लेकर एक विधेयक लाया गया है। इसमें उसके ‘अहम गैर-नाटो सहयोगी (एमएनएनए)’ का दर्जा रद्द करने की सिफारिश की गई है। इसमें भी विशेष जानने योग्य सभी के लिए यह है कि विधेयक रिपब्लिकन और डेमोक्रेट, अमेरिका की दोनों प्रमुख राजनीतिक पार्टियों की ओर से लाया गया है। इससे भविष्य में पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ेंगी ही, तो वहीं भारत को इसका अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक लाभ मिलेगा।
इसके बाद जो शेष बचता है वह है ट्रम्प के सत्ता में आते ही लिए गए उस निर्णय पर विचार, जो पेशेवर आईटी भारतीयों को अमेरिका में रोजगार के अवसरों को सीमित करता है। सभी जानते हैं कि ट्रंप ने अमेरिकन राष्ट्रपति बनते ही अपने पहले भाषण में कहा था कि सबसे पहले हम अमेरिका की सोचेंगे। चाहे वो इमिग्रेशन हो, व्यापार हो, कुछ भी हो सबसे पहले अमेरिका और अमेरिकियों के हितों का ख्याल । हम अपने रोजगार, अपनी दौलत, अपने सपनों को फिर से वापस लाएंगे। हम दूसरों के साथ भी संपर्क बनाएंगे लेकिन पहले अपना हित देखेंगे।
यहां ट्रंप ने यह भी कहा था कि हमने ट्रिलियन डॉलर खर्च कर दूसरे देशों को अमीर बनाया लेकिन हमारा विश्वास कम हो गया। हमारे कारखाने बंद होते चले गए, यहां तक कि जो लाखों अमेरिकन काम करने वाले थे वो पीछे रह गए। हमने जितनी दौलत थी उसे दुनिया को बांटा लेकिन अब इसे रोकना है। आज ट्रंप के शासन में आने के 6 माह के भीतर परिस्थितियां बहुत कुछ बदल चुकी हैं। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस अमेरिका यात्रा से साबित भी हो गया है। आज भारत की अहमियत को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प समझ रहे हैं। वह भारत की प्रशंसा कर रहे हैं। राष्ट्रपति ट्रंप मानते हैं कि भारत अच्छे उद्देश्यों के लिए काम कर रहा है।
इसके बाद भारत अपने हित में यह उम्मीद भी बनाए रख सकता है कि अमेरिकन ट्रंप प्रशासन एच-1बी वीजा प्रणाली को कड़ा बनाने के कदम से अवश्य ही पीछे हटेगा, जिससे कि भारतीय पेशेवरों द्वारा अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने की दिशा में निभाए जाने वाली अहम भूमिका को तो बल मिलेगा ही उससे भारत भी आर्थिक रूप से समृद्ध होगा। निश्चित ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह विदेश यात्रा भारत-अमेरिका के नए दौर के संबंधों को लेकर बहुत मायने रखती है।