…तो बिना किताबों के बिना ही शुरू होगा नया सत्र

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देहरादून। राज्य के उत्तराखंड बोर्ड और सीबीएसई के सभी स्कूलों में एक अप्रैल से एनसीईआरटी की किताबों को लागू करने पर संशय की स्थिति बनी हुई है। सिर्फ दून की बात करें तो यहां 1580 सरकारी, सहायता और मान्यता प्राप्त व सीबीएसई बोर्ड के स्कूल हैं जिनमें 4 लाख से ज्यादा बच्चे पंजीकृत हैं। लेकिन, एनसीईआरटी की किताबें स्कूलों को उपलब्ध कराने के लिए दून के एक विक्रेता को जिम्मेदारी सौंपी गई है। इतने स्कूलों को एक दुकान से किताबें उपलब्ध कराने के फैसले पर सवाल खड़े हो रहे हैैं। प्रिंसिपल प्रोग्रेसिव स्कूल एसोसिएशन (पीपीएसए) ने यह सवाल उठाया है, एसोसिएशन का कहना है कि एक पुस्तक विक्रेता इतने सारेे स्कूलों को किताबें कैसे पहुंचाएगा जबकि नया सेशन शुरू होने में महज 20 दिन बचे हों।


बिना किताब छात्रों को होगी परेशानी
प्रदेश के हर स्कूल में एनसीईआरटी की किताबें पढ़ाए जाने के शिक्षा मंत्री के निर्देश के बाद किताबें प्रिंट होकर पहुंचनी तो शुरू हो गई हैैं, लेकिन इनके डिस्ट्रिब्यूशन को लेकर सवाल उठने लगे हैैं। आशंका जताई जा रही है कि सत्र की शुरुआत में छात्र-छात्राओं को किताबें की किल्लत से जूझना पड़ सकता है।
विभाग सिर्फ दावे कर रहा है
एनसीईआरटी की बुक्स की बिक्री शुरू हो गई है, लेकिन दून के प्राइवेट स्कूलों ने पर्याप्त किताबें न मिलने की बात कही है। राजधानी के स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों की संख्या 4 लाख से ज्यादा है, जिसमें से 2 लाख 40 हजार के करीब निजी स्कूलों के छात्र हैं, जिन्हें नई किताबें खरीदनी होंगी। इधर प्रिंसिपल प्रोग्रेसिव स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रेम कश्यप ने कहा कि विभाग दावे तो बड़े-बड़े कर रहा है। लेकिन बाजार में किताबें नहीं मिल पा रही हैैं, जबकि जल्द ही नया एजुकेशन सेशन शुरू होने जा रहा है।
1580 स्कूलों के लिए एक डिपो क्यों ?
पीपीएसए ने इस बात पर सवाल खड़ा किया है कि दून के 1580 स्कूलों के लिए सिर्फ एक ही बुक डिपो (इंदर बुक डिपो) को डिस्ट्रिब्यूशन की जिम्मेदारी दी गई है। एक डिस्ट्रिब्यूटर कैसे इतने स्कूलों तक किताबें पहुंचाएगा। ऐसे में कैसे सेशन की शुरुआत में बच्चों को किताबें मिल पाएंगी। मामले में पीपीएसए के अध्यक्ष प्रेम कश्यप का कहना है कि सरकार की कथनी और करनी में बहुत अंतर है। बाजार में दुकानों में किताबें उपलब्ध नहीं हैं। 1-2 दुकानों में कुछ किताबें मिल रही हैं। इससे काम नहीं चलने वाला। ऐसे में बच्चों के लिए भी परेशानियां बढ़ने वाली हैं। हालांकि मुख्य शिक्षा अधिकारी एसबी जोशी ने बताया कि विभाग द्वारा निरंतर इस बात का ध्यान रखा जा रहा है। मामले में उनके द्वारा निरीक्षण कर किताबों को लेकर जानकारी जुटाई है। किताबें पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैैं। इसकी लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है। जल्द ही कई दुकानों में किताबें मिलने लगेंगी।