नन्हें मुन्ने बच्चों की आवाज बनकर उनकी जिंदगी संवारती – आदिती

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    ‘’जिंदगी और कुछ भी नहीं तेरी मेरी कहानी है’’

    कहानी किसी की भी इसमें दम होना चाहिए,और ऐसी ही कहानी है- गैर सरकारी संस्था पर्वतीय बाल मंच की संयोजक अदिती पी कौर की।वैसे तो हमारे आस पास बहुत से संस्था काम कर रहे हैं लेकिन यह खास है क्योंकि यह उन नन्हें मुन्ने बच्चों के लिए काम कर रहा जिनकी आवाज भीड़ में ही दबी रह जाती है।

    आइये अदिती से जानते हैं कुछ उनके बारे में, कुछ उनकी संस्था के बारे में।

    अदिती देहरादून की रहने वाली हैं।इन्होंने स्कूल की पढ़ाई खत्म करने के बाद होटल मैनेजमेंण्ट की डिग्री ली और कुछ समय होटल में काम भी किया हैं।इस दौरान अदिती की मुलाकात एस0बी0एम0ए0 अंजनीसैंण,टिहरी गढ़वाल में संस्था के सचिव सिरिल आर. रैफियल से हुई।यह शायद इनकी जिंदगी का टर्निंग प्वाइंट था, सिरिल जी से मिलने के बाद अदिती को सामाजिक क्षेत्र में कार्य कर रही संस्थाओं के बारे में पता चला और सामाजिक क्षेत्र में काम करने का इनका नया सफर यहीं से शुरू हुआ।

    अदिती कहती हैं कि जैसे कि किसी भी नए काम को शुरु करने में हजारों चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, मुझे भी संस्था में काम करते हुए काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा क्योंकि यह मेरे लिए नया अनुभव था।साल 2002 में अन्तर्राष्ट्रीय पर्वतीय वर्ष के अवसर पर ’’पर्वतीय बच्चों का अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन’’ (आईसीएमसी) आयोजित किया गया, जहां विभिन्न पर्वतीय देशों के बच्चों ने प्रतिभाग किया तथा अपने लिए एक ऐसा मंच बनाने की बात की जहां पर वो अपनी बात रख सके।बस फिर क्या था मैंने ठान ली कि अब मुझे इन बच्चों की आवाज आगे तक पहुंचानी हैं।

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    अदिती कहती हैं कि मेरा मुख्य काम था कि पर्वतीय बच्चों की बात को आगे बढ़ाया जाए। मुझे लगा कि बच्चों के लिए एक ऐसी जगह होनी चाहिए जिसके माध्यम से वो अपनी बात अपने समुदाय और सरकार तक पहुंचा सके।इसी सोच के साथ अदिती ने वर्ष 2003 में पर्वतीय बाल मंच (माउण्टेन चिल्ड्रन्स फाउण्डेशन) की शुरूआत कि जो बच्चों के अधिकारों को संरक्षित करते हुए बाल संरक्षण, बाल सहभागिता के माध्यम से बालक एवं बालिका के बीच भेदभाव, स्वच्छता एवं सफाई जैसे मुद्दों पर काम कर रहा है।इसके जरिए बच्चे अपने अधिकारों एवं कर्तव्य के प्रति जिम्मेदार हो रहे हैं और समुदाय को जागरूक करने में अपनी भागीदारी निभा रहे हैं। आज पर्वतीय बाल मंच अपनी सहयोगी संस्थाओं के माध्यम से लगभग 15000 बच्चों से जुड़ा हुआ है।

    आज अदिती ने इन सभी बच्चों के लिए एक ऐसा मंच तैयार कर दिया है जिसके माध्यम से नन्हें मुन्ने बच्चों को अपनी आवाज सरकार तक पहुंचाने का मौका मिला है।