उत्तराखंड के 9 जिलों में नहीं है एक भी बिल्डर!!

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रियल एस्टेट रेग्यूलेटरी एक्ट में अपने को रेजिस्टर कराने की समय सीमा 31 जुलाई को खत्म हो गई। इसके बाद बी उत्तराखंड में केवल 167 बिल्डरों ने ही अपना पंजीकरण कराया है। इनमें भी राज्य के नौ जिलों में से एक भी बिल्डर ने पना पंजीकरण नहीं कराया है। इसके चलते सचिव आवास ने सभी जिलाधिकारियों से उनके यहां चल रहे निर्माण प्राॅजेक्ट का ब्यौरा मांगा है। इस लिस्ट के आधार पर शासन रेरा के तहत अपना पंजीकरण न कराने वाले बिल्डरों पर एक्शन लेने की तैयारी कर रहा है।

डेडलाइन बीत जाने के बाद तक 167 बिल्डरों वे और 39 एजेंटो ने ही पंजीकरण के लिये आवेदन किया है। इनमें से

  • देहरादून में 87
  • हरिद्वार  में 23
  • नैनीताल में 04
  • उधमसिंह नगर में 52 बिल्डरों ने ही पंजीकरण के लिये आवेदन दिया है।

इन सभी के आवेदनों पर एक महीन में एक्शन लिया जायेगा। गौरतलब है कि ये सभी आवेदक देहरादून, हरिद्वार, उधमसिंह नगर और नैनीताल के हैं। यानि बाकी के 9 जिलों से एक भी आवेदन नहीं आया है। इसके चलते शासन ने कड़ा रुख अपनाते हुए सभी जिलाधिकारियों से जानकारी तलब की है।

विकास प्राधिकरण सचिव पंकज उपाध्याय ने बताया कि स्थानीय विकास प्राधिकरणों के पास रेरा के तहत रजिस्ट्रेशन करने की शक्ति नहीं है। यदि बिल्डर इस संबंध में आवेदन जमा करते तो उन्हें देहरादून भेजा जा सकता था। 31 जुलाई को इस संबंध में चार बिल्डर मिले भी थे उन्हें प्रक्रिया समझा दी गई। देहरादून से पंजीयन की सूची मिलने के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा कि कितने बिल्डर/डेवलेपर ने रजिस्ट्रेशन करा लिया है। इसी के बाद प्राधिकरण भी कार्रवाई अमल में लाएगा।

गौरतलब है कि केंद्र सरकरा ने बिल्डरों की मनमानी रोकने और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिये रियल ऐस्टेट रेग्यूलेटरी एक्ट लागू किया है। उत्तारखंड के लिये भी ये एक्ट खासा लाभदायक साबित हो सकता है क्योंकि जिस बेतरतीब तरीके से राज्य में बिल्डर नेकसस काम कर रहा है उससे न सिर्फ ग्राहक पेशान हैं बल्कि नियम कानूनों को भी घड़ल्ले से ताक पर रखा जा रहा है। बहरहाल इस ऐक्ट की सफलता के लिये ये जरूरी है कि सरकार बिल्डरों की सही पहचान करे और कानून को ठेंगा दिखाने वाले बिल्डरों पर नकेल कसे।