नोटबंदी से परेशान विदेशी पर्यटकों की मदद के लिये लोग आये सामने

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बैंको और एटीएम की लंबी लंबी लाइनें,करेंसी को बदलवाने के लिए घण्टों का इंतज़ार ये नजारा आजकल पुरे देश में आम हो चला है। पर्यटन और योग नगरी ऋषिकेश में रोज़ाना बढ़ती तादात में विदेशी सैलानी आते है और यहाँ कई दिन गुजारते है। करेंसी की कमी इन सैलानियो के लिए कई मुसीबतें लेकर आयी है। ऐसे में कुछ स्थानीय व्यापारी इन विदेशियो के लिए देवदूत की तरह उम्मीद बन कर आये है अतिथि देवो भवः ये परम्परा अब स्लोगन के रूप में नजर आती है लेकिन सात समंदर पर से योग और अध्यात्म की धरती पर शांति की तलाश में आये विदेशी नागरिको के लिए अतिथि देवो भवः की पम्परा को स्थानीय लोग बढ़ी शिद्दत के साथ निभा रहे है ।

शिवानंद जो की स्थानीय व्यापारी हैं उनका मानना हैं कि इस नोटबंदी से जो हमारे पर्यटक ऋषिकेश आते है उन्हें दिनभर डालर लेकर भटकना पड़ता है और जबकि इनका खर्चा ज्यादा होता है और एटीएम से ये केवल दो हजार निकाल पाते हैं ऐसे में स्थानीय लोग इन्हें करेंसी देते है।”नोट बंदी के चलते जहाँ आम आदमी परेशान हैं वहीं विदेशी पर्यटकों की परेशानियों को देखते हुए स्थानीय लोगो और व्यापारियों ने इनकी मदद का बेड़ा उठाया है, कोई पानी बाँट रहा, तो कोई खाना बाँट रहा है तो कोई खुले पैसे देकर इन पर्यटकों की मदद कर रहे है ।

‘एन्टोनियों’ स्पेन से हर साल ऋषिकेश आते हैं, उन्होंने बताया की उन्हें किसी ने पाँच सौ के नोट के बदले सौ सौ के नोट दिए तो पैसे न होने पर किसी ने उन्हें बिन पैसों के खाना भी खिलाया। ‘जोए और जेन’ का पहला भारत ट्रिप नोटबंदी के कारण कुछ ज्यादा अच्छा नहीं रहा क्योंकि उन्हें कई दिन एटीएम और बैंकों की लाइन में बिताना पड़ा लेकिन उन्हें भी यहां की खासियत,लोगों का प्यार और योगदान हमेशा याद रहेगा। जोए बताते हे कि यहां के रेस्तरां में हमें खाना तक मुफ्त मिला और लोगों ने हमारी काफी मदद की।

ऋषिकेश की पहचान विश्व में अंतरास्ट्रीय योग नगरी के रूप में है। जिसके कारण साल भर देशी विदेशी पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है ,लेकिन नोट बंदी के चलते यहाँ आये हुए पर्यटकों को भारी दिक्कतों का सामना करना पढ़ रहा है ऐसे में स्थानीय लोगों का यह प्रयास विदेशियों के दिलों में भारत की अतिथि देवो भवः की परम्परा को और मजबूत कर रहा हैं।