देहरादून। भारतीय वन सेवा परिवीक्षार्थियों के सत्र के समापन में पहुंचे पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी द्वारा युवा अधिकारियों को दिया गया प्रशिक्षण भविष्य में उनके सामने आने वाली चुनौतियों के लिए तैयार करेगा। उन्होंने कहा कि फॉरेस्ट्री एक कठिन व्यवस्था है और जिन युवा अधिकारियों ने चुना है उनकी निष्ठा की प्रशंसा की जानी चाहिए।
शनिवार को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी में भारतीय वन सेवा परिवीक्षार्थियों के सत्र संपन्न हुआ। कार्यक्रम में पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने मुख्य अतिथि के रुप में शिरकत की। इस मौके पर अकादमी के निर्देशक डॉ. शशि कुमार ने अपने संबोधन में मंत्री तथा पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के विशेष सचिव एवं वन महाननिदेशक सिद्धांत दास का स्वागत किया। साथ ही उन्होंने कहा कि शुरू होने जा रहे हैं नए बैच के अधिकारियों को शुभकामनाएं दी और कहा कि उन्हें समाज की अपेक्षाओं पर खरा उतरते हुए देश के संतुलित विकास के लिए अपना योगदान देने के लिए तैयार रहना होगा। उन्होंने इन अधिकारियों को सफलता का सूत्र देते हुए कहा की सेवा में सफलता और संतुष्टि प्राप्त करने के लिए कर्तव्य के प्रति परम निष्ठा और लगन परम आवश्यक तत्व है।
वहीं, इस मौके पर मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि युवा अधिकारी देश की उम्मीद के केंद्र है। उन्होंने कहा कि आज की युवा देश की देश के चरित्र तथा उज्जवल भविष्य के प्रति पूर्णतया समर्पित है सरकार को इनसे अत्यधिक अपेक्षाएं हैं। उन्होंने युवा अधिकारियों को सलाह दी कि वह सत्य, प्रेम और दूसरों के प्रति संवेदना की शक्ति के साथ नए-नए विचारों को आगे लाएं यही रास्ता है जिससे हर समस्या का हल प्राप्त किया जा सकता है उन्होंने जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग और वायु प्रदूषण पर चिंता जताते हुए कहा कि यह हमारे समक्ष चिंता का विषय है जिसके समाधान के लिए अच्छी वैज्ञानिक समझ के साथ साथ प्रत्येक स्तर पर समेकित कार्यवाई करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हमारे देश की विशाल जनसंख्या आजीविका और निर्वहन के लिए वनों और वनभूमि पर सीधे आश्रित हैं। हमें सतत विकास के पथ पर चलते हुए ग्रामीण समुदायों की अनुकूलन क्षमता में वृद्धि के उपाय करने होंगे और युवा अधिकारियों को इस उद्देश्य से अपना योगदान करने के लिए तैयार रहना चाहिए। साथ ही उन्होंने कीर्तिचक्र श्रीनिवास तथा स्व. संजय सिंह तथा अन्य समस्त शहीदों को याद करते हुए नमन किया जिन्होंने अपने कर्तव्य के लिए अपने जीवन की भी कुर्बानी दे दी।
वहीं अकादमी के अपर प्राध्यापक डॉ. एस सेंथिल कुमार ने अकादमी की गतिविधियों के संबंध में विस्तृत विवरण प्रस्तुत करते हुए अकादमी में दिए जाने वाले प्रशिक्षकों की रूपरेखा प्रस्तुत की।
उन्होंने बताया कि इस अकादमी द्वारा अभी तक अन्य भारतीय वन सेवा अधिकारियों के साथ 351 विदेशी प्रशिक्षुओं को भी प्रशिक्षित किया है। उन्होंने सूचित किया कि आरंभ हो रहे बैच में कुल 96 परीवीक्षार्थी शामिल है जिसमें से 2 विदेशी प्रशिक्षु भूटान है और इनमें कुल 8 महिलाएं परीवीक्षार्थी शामिल है। वहीं इस दौरान डॉ सिद्धार्थ दास ने अपने भाषण में युवा अधिकारियों को उनकी सफलता पर बधाई देते हुए कहा कि उनका वानिकी प्रशिक्षण ऐसे शहर में शुरू हो रहा है जिसे वानिकी की काशी कहा जाता है उन्होंने बताया कि भारत में वन प्रबंधन का इतिहास 1864 से आरंभ होता है आज भारत विश्व के उस शीर्ष 10 देशों में से एक है जहां जनसंख्या के गहन दबाव के बावजूद वन-आवरण में वृद्धि दर्ज की जा रही है आज वन प्रबंधन का उद्देश्य टिंबर से हटकर कार्बन एकत्रीकरण की ओर उन्मुख हुआ है और भारत में विश्व के समक्ष कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के प्रति निष्ठा व्यक्त की है उसे प्राप्त करने में इन वानिकों को एक बड़ी भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि 21वीं शताब्दी में पर्यावरण पूरी दुनिया के समक्ष एक मुख्य समस्या बनकर उभरा है जिसका एक अभिन्न अंग वन भी है उन्होंने विश्वास व्यक्त किया की अकादमी में प्राप्त होने वाला प्रशिक्षण इन युवा अधिकारियों का पथ प्रशस्त करेगा । जिससे वे वानिकी क्षेत्र की हर चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होंगे।