देहरादून। चार साल के लंबे इंतजार के बाद वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआइ) में बूढे व बीमार पेड़ों के कटान का कार्य शुरू कर दिया गया है।
एफआरआइ के जंगल में करीब 68 पेड़ ऐसे चिन्हित किए गए हैं, जो या तो बूढ़े हो चुके हैं या बीमार हैं। वर्ष 2013 में इन्हें काटने की कवायद शुरू की गई थी, लेकिन कभी बजट की कमी तो कभी अन्य कारण से मामला लटकता रहा। कई बार ऐसी बात भी सामने आई कि पेड़ों को काटने को लेकर बेवजह का विवाद भी खड़ा किया जाता रहा। एफआरआइ में भारतीय वन सेवा के तमाम अधिकारी प्रतिनियुक्ति पर आते हैं और हर किसी की प्राथमिकता अपना कार्यकाल बिना किसी अड़चन के पूरा करने की रहती है। लिहाजा, अब तक जंगलों की बेहतरी के लिए बीमार व बूढे पेड़ों को काटने की तरफ खास ध्यान नहीं दिया गया। यह पहली बार है कि एफआरआइ के निदेशक से लेकर सिल्वीकल्चर प्रभाग के अधिकारियों ने एकजुट होकर यह कवायद शुरू की। एफआरआइ के सिल्वीकल्चर प्रभाग के एसिस्टेंट सिल्वीकल्चरिस्ट एसआर रेड्डी के मुताबिक अधिकतर पेड़ काटे जा चुके हैं।
तैयार है 2020 तक की कार्ययोजना
एफआरआइ की निदेशक डॉ.सविता के मुताबिक जंगल के वैज्ञानिक संवर्धन व प्रबंधन के लिए बूढ़े व बीमार पेड़ों को काटने के लिए 2011-2020 तक की कार्य योजना तैयार की है। विलंब से ही सही अब शुरुआत की जा चुकी है और इससे जंगल की सेहत में भी सुधार हो पाएगा। खासकर बीमार हो चुके पेड़ों का सफाया होने के बाद उसका रोग अन्य वृक्षों तक नहीं फैल पाएगा।