मोदी सरकार ने मौजूदा 500 और 1000 रुपए के नोट बंद करने का फैसला किया है। बताया जा रहा है कि कुछ हद तक ये कदम अर्थक्रांति संस्थान के प्रपोजल पर विचार से प्रेरित हो सकता है। दरअसल, ऑर्गेनाइजेशन के मेंबर अनिल बोकिल ने कुछ दिन पहले नरेंद्र मोदी के साथ मीटिंग की थी। पहले बोकिल को पीएम से मुलाकात के लिए सिर्फ 9 मिनट का वक्त दिया गया था, लेकिन प्रपोजल जानने के बाद पीएम ने इसमें इंटरेस्ट दिखाया और पूरे 2 घंटे तक चर्चा की। रोचक ये कि बोकिल की टीम डेढ़ साल पहले राहुल गांधी से भी मिलने गई थी। राहुल ने टीम को सिर्फ 10 से 15 सेकंड का वक्त दिया था। प्रपोजल में क्या थे सुझाव…
– इंपोर्ट ड्यूटी छोड़कर 56 तरह के टैक्स वापस लिए जाएं। बड़ी करेंसी 1000, 500 और 100 रुपए के नोट वापस लिए जाएं।
– सभी तरह के बड़े ट्रांजेक्शन सिर्फ बैंक से जरिए चेक, डीडी और ऑनलाइन हों।
– कैश ट्रांजेक्शन के लिए लिमिट फिक्स की जाए। इन पर कोई टैक्स न लगाया जाए।
– सरकार के रेवेन्यू जमा करने का एक ही बैंक सिस्टम हो। क्रेडिट अमाउंट पर बैंकिंग ट्रांजेक्शन टैक्स (2 से 0.7%) लगाया जाए।
प्रपोजल के खास प्वाइंट
– फिलहाल देश में 2.7 लाख करोड़ का बैंकिंग ट्रांजेक्शन रोज होता है। सालाना 800 लाख करोड़।
– सिर्फ 20% ट्रांजेक्शन बैंक के जरिए होता है। बाकी 80% कैश होता है, जिसे ट्रेस नहीं किया जा सकता।
– देश की 78% आबादी रोज सिर्फ 20 रुपए खर्च करती है। ऐसे में उन्हें 1000 रुपए के नोट की क्या जरूरत।
500 और 1000 के नोट वापस लेने से क्या होगा?
– कैश ट्रांजेक्शन से होने वाला भ्रष्टाचार पूरी तरह खत्म होगा। ब्लैकमनी व्हाइट हो जाएगी या फिर बेकार। 1000 और 500 के नोट कागजी टुकड़े बन जाएंगे।
– प्रॉपर्टी, जमीन, ज्वेलरी और घर खरीदने में ब्लैकमनी के इस्तेमाल से कीमत बढ़ जाती है। मेहनत से कमाई रकम की वैल्यू घट रही है। इस पर फौरन लगाम लगेगी।
– कुछ क्राइम जैसे किडनैपिंग, रिश्वतखोरी, सुपारी लेकर मर्डर पर रोक लगेगी। कैश ट्रांजेक्शन के जरिए आतंकवाद की फंडिंग पर रोक लगेगी।
– कोई भी मंहगी प्रॉपर्टी कैश में खरीदते वक्त रजिस्ट्री में घालमेल नहीं कर पाएगा। जाली नोटों के लेनदेन पर रोक लगेगी।
56 तरह के टैक्स खत्म करने से क्या होगा?
– नौकरीपेशा लोगों के हाथ में ज्यादा पैसा होगा और परिवारों की खरीदारी कैपिसिटी बढ़ेगी।
– पेट्रोल, डीजल, एफएमसीजी के साथ सभी कमोडिटीज 35 से 52 फीसदी तक सस्सी होंगी।
– टैक्स भरने का कोई सवाल नहीं होगा तो लोग ब्लैकमनी जमा नहीं कर पाएंगे।
– बिजनेस सेक्टर में उछाल आएगा और लोगों के पास खुद के रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
इसे लागू करने से क्या फायदा होगा?
– सभी चीजों की कीमत घटेगी, नौकरीपेशा लोगों के हाथ में ज्यादा पैसा होेगा।
– सोसाइटी की खरीदारी की कैपिसिटी बढ़ेगी। मांग और प्रोडक्शन बढ़ेगा तो कंपनियों में रोजगार बढ़ेगा।
– बैंकों से आसान और सस्ता लोन मिलेगा। इंटरेस्ट रेट घटेगा।
– राजनिती में ब्लैकमनी का इस्तेमाल भी बंद होगा। जमीन और प्रॉपर्टी की कीमत कम होगी।
– व्यापार घाटे को पूरा करने के लिए बीफ एक्पोर्ट की जरूरत नहीं होेगी।
– रिसर्च और डेव्लपमेंट के लिए पर्याप्त धन मौजूद होगा। आसामाजिक तत्वों पर लगाम कसेगी।
राहुल ने दिए सिर्फ 15 सेकंड
– करीब डेढ़ साल पहले मेकेनिकल इंजीनियर बोकिल अपने डेलिगेशन के साथ प्रपोजल लेकर राहुल गांधी से मिलने गए थे। लेकिन घंटों सिक्युरिटी चेक के बाद राहुल ने उन्हें सिर्फ 10-15 सेकेंड का वक्त दिया था।
– ब्लैक कैट कमांडो ने उन्हें प्रपोजल वाली सीडी साथ लेकर जाने की भी इजाजत नहीं दी थी। उन्हें सीडी में ऐसा कोई प्रपोजल नहीं होने का भी शक था। तब राहुल ने सिर्फ इतना कहा था कि प्लीज आप डॉ. मोहन गोपाल से मिल लें, हम पहले इसे देखेंगे। गोपाल राजीव गांधी फाउंडेशन के डायरेक्टर थे।
क्या है अर्थक्रांति?
– यह पुणे की इकोनॉमिक एडवाइजरी संस्था है। जिसमें चार्टर्ड अकाउंटेंट्स और इंजीनियर शामिल हैं। अर्थक्रांति प्रपोजल को संस्थान ने पेटेंट कराया है।
– संस्थान का दावा है कि यह प्रपोजल ब्लैकमनी, मंहगाई, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, रिश्वतखोरी, आतंकियों की फंडिंग रोकने में पूरी तरह कारगर होगा।