चारधाम यात्रा शुरु होने के 19 दिनों में लगभग 17 श्रद्धालुअों की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई है। स्वास्थ विभाग के अनुसार इसका ठीकड़ा भी श्रद्धालुओं पर ही फोड़ा गया है यह कहते हुऎ कि आने वाले श्रद्धालु यात्रा के दौरान नियमों का पालन नहीं करते जिसकी वजह से इसका खामियाजा, खासकर ज्यादा उम्र के लोगों को भरना पड़ रहा है।
28 अप्रैल से शुरु हुई चारधाम यात्रा में केदारनाथ में अब तक 8 जानें गईं है, बद्रीनाथ में 3, गंगोत्री और यमुनोत्री में कुल 6 मौत हुई हैं। कुल मिलाकर 10 आदमी और 7 औरतों की मृत्यु हुई हैं जो देश के अलग-अलग कोने जैसे कि महाराष्ट्र, केरला,गुजरात और राजस्थान से चारधाम यात्रा पर यहां आए थे। चारधाम यात्रा के हेल्थ डिर्पाटमेंट की नोडल आफिसर डा.तृप्ति बहुगुणा ने बताया कि मरने वालों की संख्या में से एक की जान सर में लगी चोट की वजह से हुई तो बाकी जाने दिल का दौरा पड़ने से या कुछ केसों में अज्ञात बीमारियों की वजह से हुई है, जिसके बारे में खुद मरीज या उनके घर वालों को नहीं पता था। हाइपोर्थमिया (जब शरीर का तापमान बहुत कम होता जाता है) और हाइपोक्सेमिया (खून में आक्सीजन की कमी) की वजह से दिल का दौरा श्रद्धालुओं की मौत का कारण बन रहा है।
स्वास्थ विभाग के आंकड़ों के अनुसार मरने वालों में सबसे कम उम्र की औरत 40 साल की थी, जिसकी मौत केदारनाथ धाम में दर्शन के लिए लाइन में लगने के दौरान दिल का दौरा पड़ने से हुई। इसके अलावा चंडीगढ़ से एक 45 साल के आदमी की भी जान यँहा गई । 2016 यात्रा में 6 महीने के अंदर दिल का दौरा पड़ने से लगभग 39 लोगों की मौत हुई थी, जिसमें 14 लोग केदारनाथ, बद्रीनाथ में 10, यमुनोत्री में 9 और गंगोत्री में 6 की मौत हुई थी। डा.बहुगुणा ने बताया कि यात्रा के दौरान मौत होने वाले श्रद्धालुओं में से ज्यादा की उम्र 60 साल के असपास थी और उनमें से ज्यादा लोग हाई और लो ब्लडप्रेशर, डायबिटिज औऱ सांस की समस्या से ग्रसित थे।
वर्तमान सरकार ने आने वाले श्रद्धालुओं को बहुत सी सुविधाएं देने का वायदा किया था उनमें से एक था टेलीमेडिसीन जिसमें यात्रा के दौरान बीमार पड़ने वाले यात्रियों को बेहतर इलाज देने की बात कही गई थी, लेकिन यह वादे खोखले निकले।