देहरादून। सुप्रीम कोर्ट के सिनेमाघरों में फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान बजाने की अनिवार्यता खत्म करने के आदेश के बाद सिनेमाघर संचालक व व्यवस्था संभाल रहे अधिकारी प्रशासनिक आदेश का इंतजार कर रहे हैं। अभी सभी सिनेमाघरों में फिल्म का शो शुरू होने से पहले राष्ट्रगान बजाया जा रहा है।
उत्तरांचल सिनेमा फेडरेशन के अध्यक्ष सुशील अग्रवाल के मुताबिक अस्सी के दशक में भी सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाने की अनिवार्यता की गई थी। उस समय भी सिनेमा संगठनों ने इसे यह कहते हुए अनुचित ठहराया था कि सिनेमा हॉल में कई बारी हूटिंग भी होती है और देश के सम्मान से जुड़े राष्ट्रगान के लिए यह स्थिति किसी भी दशा में उचित नहीं। इसके बाद इस अनिवार्यता को समाप्त कर दिया गया था। 30 नवंबर 2016 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राष्ट्रगान को फिर से अनिवार्य कर दिया गया और सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाया जाने लगा। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के नए आदेश में इसकी अनिवार्यता को समाप्त किया जाना पूरी तरह से उचित निर्णय है और इसका भी सम्मान किया जाता है। हालांकि राष्ट्रगान बजाने तभी बंद किया जाएगा, जब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में राज्य कोई प्रशासनिक आदेश जारी करेगा। वहीं, सिल्वर सिटी मल्टीप्लेक्स के निदेशक सुयश अग्रवाल की मानें तो फिल्म के शो के अलावा स्क्रीन पर विज्ञापन के अलावा तमाम सामाजिक संदेशों के प्रसारण का भी दबाव रहता है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का नया आदेश इस लिहाज से भी पूरी तरह जायज है। इसी तरह सिटी जंक्शन मॉल में कार्निवाल सिनेमा के यूनिट हेड विशाल रावत भी सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाने की अनिवार्यता को समाप्त करने के आदेश को उचित मान रहे हैं। उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के पिछले आदेश के बाद मनोरंजन कर विभाग (अब जीएसटी में मर्ज हो चुका) ने एक आदेश जारी किया था और तभी से हर शो के बाद राष्ट्रगान बजाया जा रहा है। हालांकि राष्ट्रगान बजाना तभी बंद या जारी रखा जाएगा, जब प्रशासनिक या कार्निवाल सिनेमा समूह की तरफ से कोई आदेश प्राप्त होगा।