दुनिया के लगभग हर कोने में ऐसे बहुत से लोग मिलेंगे जो समाज के लिए कुछ अलग करना चाहते हैं, और कुछ लोग ऐसे मिलेंगे जो सोचते नहीं कुछ अलग करते हैं। ऐसे ही कुछ गुरुओं से शिक्षक दिवस के अवसर पर हम आपको रूबरु करवाऐंगे।यह शिक्षक ना केवल अलग कर रहे बल्कि उन्होंने अपने आस पास के लोगों को भी इस काम को करने के लिए प्रेरित किया है।
पहाड़ो के बीच बसे पौड़ी जिले का एक ऐसा दूरस्थ गांव सयालखाल जिसे देखने लोग दूर-दूर से जाते हैं। अपनी सुंदरता के लिए मशहूर यह गांव लोगों को एक और बात से आकर्षित करता है।इस गांव की जो दूसरी खास बात है वह है यहां कि बहुत ही स्पेशल स्कूल परमार्थ अवधावन, एक ऐसा स्कूल जिसकी सुविधाएं मेट्रो शहर से कहीं बेहतर हैं।
इस स्कूल की खास बात हैं यहां का पाठ्यक्रम। हम सभी जानते हैं कि स्कूल में पढ़ाई होती है लेकिन इस स्कूल में बच्चों को अलग ढंग से पढ़ाया जाता है।चली आ रही टीचिंग टेक्निक के अलावा यहां बच्चों को छोटी उम्र से ही प्रेक्टिकल रुप से तैयार किया जाता है।इस स्कूल में हर वो सुविधा है जो शहरों को महंगे स्कूलों में होती है जैसी की स्मार्टक्लास रुम, लाइब्रेरी, रिक्रेएशनल रुम और प्लेग्राउंड।
यह स्कूल दिलबीर सिंह परिहार और उनके बेटे रोहन सिंह परिहार के अलावा शिन शिवा चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा चलाया जा रहा है।टीम न्यूजपोस्ट से बातचीत में रोहन सिंह परिहार ने बताया कि, “यह स्कूल बहुत से मायने में दूसरे स्कूलों से अलगा है। यहा हमारा फोकस बच्चों में तीन खास बातें उजागर करने में होता है, पहला क्रिएटिविटी, दूसरा कांफिडेंस और तीसरा बच्चों की उचित डायट।” रोहित कहते हैं कि, “हम बच्चों में डायट का ध्यान इसलिए रखते हैं कि बचपन में दिमागी विकास के लिए उचित भोजन बहुत जरुरी जिसके लिए हमें इंटरनेशल टीचर गाईड करते हैं। हम ज्यादा से ज्यादा बच्चों की क्रिएटिविटी को बाहर लाने में विश्वास रखते हैं और अपना पाठ्यक्रम भी उसी आधार पर सेट करते हैं कि बच्चे अपनी सोच और क्षमता से पढ़ाई करें।”
वह बतातें हैं कि, “यह स्कूल बाकी सभी स्कूलों से अलग है क्योंकि इसमें हम को-करीक्युलक एक्टिविटी ज्यादा करवाते हैं। इस स्कूल को चलाने के लिए रोहित और उनके पिता दिलबीर हर महीने एक फिक्स अमाउंट डोनेट करते हैं स्कूल और आश्रम दोनों के लिए।अभी यहां लगभग 53 बच्चे हैं जो बिना किसी फीस के इस स्कूल में पढ़ रहे हैं।अभी इस स्कूल में प्री नर्सरी से कक्षा पांच तक के बच्चे पढ़ रहे हैं।
स्कूल के आसपास, स्कूल मैनजनमेंट द्वारा बनाये गये कुछ क्वार्टर हैं जिसमें स्कूल में पढ़ाने वाले टीचर रहते हैं ।स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षक दूर से आए हैं और एक अच्छे काम में मदद कर रहे हैं , इसलिए स्कूल उन्हें तनख्वाह भी अच्छी देता है।स्कूल के बाहर कुछ गाड़ियां खड़ी रहती हैं जो आस-पास के गांव से आने वाले बच्चों को लाने और वापस ले जाने के काम आती है।एक कुक के अलावा परमार्थ अवधावन में गेस्ट रुम भी उपलब्ध है।
इस स्कूल को खोलने के पीछे क्या वजह थी इसपर रोहन परिहार कहते हैं कि, “यह हम 5-6 लोगों की सोच थी और उसमें हमें राह दिखाई हमारे स्पीरुचुअल गुरु शिन ने। हम आने वाले पौध को शुरुआत से ही अच्छी शिक्षा के माध्यम से आगे आने समय के लिए तैयार कर सकते हैं।” रोहन ने कहा हमारे गुरु के मार्गदर्शन के बिना शायद यह कर पाना आसान नहीं था।