आरक्षण बढ़ने के बाद भी खुश नहीं दिव्यांग

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हरिद्वार। प्रदेश सरकार के दिव्यांगों के आरक्षण को तीन प्रतिशत से बढ़ाकर चार प्रतिशत किए जाने के बाद भी दिव्यांगों में रोष है। कारण, दिव्यांगो की श्रेणी सात से बढ़ाकर 21 कर दी गई है। इससे मूल दिव्यांगों ने भविष्य में नौकरी ना मिलने की आशंका जताई है।

देवभूमि बधिर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संदीप अरोड़ा का कहना है कि यह शासनादेश बहुत देरी से जारी किया गया है। जबकि केन्द्र सरकार ने दिव्यांग अधिकार अधिनियम अप्रैल 2016 लागू किया था, उस परिप्रेक्ष्य में इसे अस्तित्व मे लाया जाना आवश्यक हो गया था। इस अधिनियम में बहुत खामियां है, जिसे दूर करने के लिए केन्द्र सरकार ने दिव्यांग संगठनों से सुझाव मांगे थे, लेकिन उन सुझावों पर अमल तक नहीं किया गया।
उन्होंने कहा कि सरकार को सुझाव दिया था कि इस विधेयक में 21 प्रकार की कैटगरी को शामिल किया गया है, लेकिन उसी अनुपात में आरक्षण नहीं दिया गया। केवल तीन से बढ़ाकर चार प्रतिशत आरक्षण कर दिया गया जबकि कैटेगरी बढ़ाने के हिसाब से 12 प्रतिशत आरक्षण होना चाहिए।
पूर्व मे केवल सात प्रकार की कैटेगरी मूक बधिर, नेत्रहीन, शारीरिक दिव्यांग, मानसिक दिव्यांग, सेरेब्रल पाल्सी व अन्य आदि थी और उसका आरक्षण तीन प्रतिशत था। पूर्व के विधेयक से दिव्यांग समाज बहुत खुश था, क्योकि पूर्व के विधेयक में दिव्यांग तो असल मे प्राकृतिक दिव्यांग थे, उनको बीमार नहीं कहा जा सकता। जबकि वर्तमान विधेयक मे 14 प्रकार की नई कैटेगरी डाली गई है। संदीप अरोड़ा ने कहा कि सरकार इससे अच्छा इनकी मूल दिव्यांगों से इतर एक अलग से श्रेणी बनाकर अलग से विधेयक बनाए।