ब्रह्मकमल लाने के लिए नंगे पांव भक्त ग्लेशियर रवाना

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मां नंदा भगवती की पूजा के लिए हीरामणि ग्लेशियर ब्रह्मकमल लेने के लिए तल्ला और मल्ला जोहार के ग्रामीण रवाना हो गए हैं। यात्रा के दौरान नंदा भक्त नंगे पांव उच्च हिमालय के पथरीले रास्तों पर चलेंगे। शनिवार को तल्ला और मल्ला जोहार के बिर्थी, झेकला, बला, सैंणराथी, सुरिंग, क्वीरीजिमिया, रांथी, मरतोली, बुरफू, टोला, पांछू, गनघर और मिलम के ग्रामीणों ने क्षेत्र में स्थित मां नंदा के मंदिर में विधि-विधान से पूजा अर्चना की। इसके बाद उन्होंने पंडित गोपाल दत्त द्विवेदी के नेतृत्व में एक दल गाजे-बाजे के साथ उच्च हिमालयी क्षेत्रों से ब्रह्मकमल लाने के लिए रवाना हुआ।

यह दल 28 अगस्त को ब्रह्मकमल लेकर वापस लौटेगा। यह दल थल टॉप के गुफाओं में रात्रि विश्राम करेगा। सोमवार को यह दल हीरामणि कुंड में स्नान करने के बाद देर रात वापस गांव पहुंचेगा जहां ब्रह्मकमल से मां नंदा की पूजा-अर्चना की जाएगी। तल्ला और मल्ला जोहार के लोगों की आराध्य देवी हैं मां नंदा मुनस्यारी। मुनस्यारी तहसील के तल्ला और मल्ला जोहार के लोगों की आराध्य हैं नंदा देवी।
वहीं, मान्यता के अनुसार हिमालय में रहने वाली नंदा देवी का प्रिय पुष्प ब्रह्मकमल है। इसी के तहत तल्ला और मल्ला जोहार के कई गांवों के लोग अति दुर्गम इस यात्रा में जाते हैं। प्रतिवर्ष अलग-अलग गांवों के लोग हीरामणि ग्लेशियर पहुंच कर नंदा कुंड में स्नान करने के बाद ब्रह्मा कमल खोजते हैं। वहां से लाए जाने वाले ब्रह्मा कमल को जमीन में नहीं रखा जाता है। भक्त इन्हें डंडों के सहारे कंधे पर उठा कर लाते हैं।
विश्राम करने के दौरान ब्रह्म कमलों को पेड़ों में रखते हैं। नंदा मंदिर में पहुंचने के बाद मां नंदा की मूर्ति को ब्रह्मा कमल से सजाया जाता है। ब्रह्मकमल 3500 से 4400 मीटर की ऊंचाई पर मिलता है।