बातचीत की तय शर्तों पर कार्यवाही न होने से बिजली कर्मियों के तेवर तल्ख

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देहरादून। शासन से वार्ता में बनी सहमति के अनुरूप कार्यवाही नहीं होने से बिजली कार्मिकों के तेवर फिर से तल्ख हैं। अगर जल्द कार्यवाही नहीं हुई तो फिर से प्रदेशभर में आंदोलन शुरू करने की तैयारी है। मंगलवार को दस संगठनों की संयुक्त संघर्ष समिति की बैठक हुई, जिसमें शासन के खिलाफ आक्रोश जताया गया। साथ ही तय हुआ कि कार्मिकों की हित की लड़ाई एकजुट होकर लड़ी जाएगी। इसके अलावा सचिव ऊर्जा से वार्ता और आंदोलन को लेकर भी चर्चा हुई।

माजरा स्थित जूनियर पावर इंजीनियर्स एसोसिएशन के कार्यालय में हुई बैठक में वक्ताओं ने कहा कि 22 दिसंबर को ऊर्जा सचिव से वार्ता हुई थी, इसमें सहमति बनी थी कि पे-मैट्रिक्स में 3000 ग्रेड वेतन को 4200 ग्रेड वेतन में संरक्षित करते हुए वेतन का निर्धारण होगा। साथ ही ऊर्जा निगमों में जो पे-मैट्रिक्स नहीं है, उन्हें विलुप्त किया जाएगा। इसी आधार पर प्रस्तावित हड़ताल स्थगित की गई थी। लेकिन, अभी तक भी इस संबंध में शासन स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि पदोन्नत वेतनमान (एसीपी) की पुरानी व्यवंस्था ही लागू करने की मांग पर भी कोई कार्यवाही नहीं हुई। शासन के रवैये से कार्मिकों में आक्रोश बढ़ रहा है। दो बार शासन स्तर पर हुई वार्ता के बाद आंदोलन स्थगित किया, लेकिन दोनों बार वादा खिलाफी हुई। ऐसी स्थिति में कैसे कार्मिक शासन पर भरोसा रखेंगे। इस दौरान ऊर्जा कामगार संगठन, पावर इंजीनियर्स एसोसिएशन, पावर जूनियर इंजीनियर्स एसोसिएशन, ऊर्जा कामगार संगठन, ऊर्जा ऑफिसर्स, सुपरवाइजर्स एंड स्टाफ एसोसिएशन, बिजली कर्मचारी संघ, पावर लेखा एसोसिएशन, हाइड्रो इलेक्ट्रिकल इंप्लाइज यूनियन, विद्युत प्राविधिक कर्मचारी संघ, विद्युत डिप्लोमा इंजीनियर्स एसोसिएशन, आरक्षित ऊर्जा एसोसिएशन से अनिल मिश्रा, राकेश शर्मा, इंसारुलहक, जीएन कोठियाल, कार्तिकेय दुबे, अशोक टंडन, संदीप शर्मा, जेसी पंत, विनोद कवि आदि मौजूद रहे।