रोशनी देने वाली तारों ने बुझाये घरों के चिराग,यहां मौत दौडती है हर वक्त घरों की छतों पर

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हर दिन मौत के साये में जीते है और हादसों के डर से सहमे रहते हैंय़ कही कोई हादसा ना हो जाए इसके लिए हर सम्भव कोशिश भी करते है बावजूद इसके कई हादसों से कुछ लोगों की जाने चली गयी तो उनके परिवार के लोग आज भी आसमान की ओर ताकते हैं तो यही दुा करते है कि किसी और के साथ ये हादसे ना हो, मगर इन हादसों के लिए जिम्मेदार अधिकारी है कि नियमों का पाढ पडाकर लोगों को मौत के मुंह में झोंक रहे हैं। जी हां काशीपुर शहर के बीचों बीच 33 केवी की विघुत लाईन सौंकडों घरों के उपर से होकर गुजरती है और इनपर दौडती मौत कई लोगों की जान लील चुकि है।
काशीपुर शहर के बीचों बीच घनी आवादी के उपर गुजरती बिजली की तारें कई घरों को रोशन तो करती है मगर कई घरों के चिराग बुझा भी चुकि है। हाईटेंश लाईन के नीचे एसे सैंकडो घर है जो हर दिन मौत के साये में जीते है।अल्लीखां, काली बस्ती, मजरा, महेशपुरा और लक्ष्मीपुर पट्टी जैसे इलाके इस हाईटेंशन लाई के नीचे ही बसी हुई है।जहां घरों की छत से महज दो फूट ऊंची तारों में करंट दौडता है लोग ना तो धतों पर जा सकते है और ना ही बच्चों को जाने देते हैं बावजूद इसके कई हादसे एसे हुए जिसने घरों के चिराग बुझा दिये। इन बिजली की तारों को हटाने के लिए सालों से लोग विधुत विभाग को लिखते रहे हैं लेकिन की कानों पर आज तक जूं ना रेंगी और मौत का साया बनकर आज भी लोग यहां सहम कर रहते हैं।
वहीं विधुत विभाग की माने तो उनके द्वारा पहले तो इन बस्तियों को ही गलत ठहराते हैं लेकिन आवादी को बढते देख उनका कहना है कि अन्डर ग्राउन्ड लाईन बिछाने की प्रक्रिया के लिए विभाग द्वारा लिखा गया है और जल्द ही अन्डर ग्रऊन्ड लाईन का प्रस्ताव पास होते ही प्रक्रिया को शुरु कर दिया जाएगा।
मौत मंडराती है छतों पर जहां , डरे और सहमे रहते हैं लोग जहां, उम्मीद है कि एक दिन एसा आयेगा, कि जब वो भी अपने घरों की छतों पर बिना डरे खुली सांस ले सकेंगे। बिजली की तारों पर चौडते करंट के डर से जहां लोग हर दिन हादसों के डर से सहमे रहते हैं वहीं कई घरों के चिराग बुझ गये घरों को रोशन करने वाली तारों से वहीं विभाग की सुस्त कार्यप्रणाली के चलते सालों से लोग घरों में सहमे है।आखिर कब विभाग की नींद टूटती है और कब मौत की ये तारे हटती है ये विभाग की कार्यप्रणाली पर कई सवाल खडे करता है।