‘पहाड़ी सोल’ का ‘कुखड़ी’ गाना रातों-रात मशहूर

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    ‘पहाड़ी सोल’ प्रोडक्शन का राकेश भारद्वाज द्वारा गाया हुआ गाना ‘कुखड़ी’ रातों-रात मशहूर हो गया है।4 मिनट 46 सेकेंड का कुखड़ी गढ़वाल का लोकगीत है जो रिलीज होने के साथ ही राकेश भारद्वाज के फैंस की पहली पसंद बन गया है।

    राकेश से टीम न्यूज़पोस्ट की बातचीत में बताया कि, “यह गाना इतना पुराना है कि इतिहास में भी इसकी कोई पहचान नहीं बची है। मैं और मेरे साथी कृष्णा बागोट पिछले एक साल से इस लोकगीत पर काम कर रहे थे।”

    इस गाने के बोल में अापकों गढ़वाल के पहाड़ों के आॅथेंटिक क्यूजिन जो आज भी लोगों का लोकप्रिय है मिलेंगे, पत्यूड़, लसन लोड़, उड़द दाल की पकौड़ी, तिल की चटनी, और ऐसे ही स्वादिष्ट खाने की चीजों से एक सास अपने जम्हाई को आकर्षित करती हैं ताकि वह एक रात और रुक जाए।

    rakesh bharadwaj

    यू तो इस गाने को महिलाओं का गाना कहा जाता है, लेकिन बाकि सभी गानों की तरह यह भी एक ऐसा गाना है जो समय के साथ लोग भूल चुके हैं। लेकिन राकेश और कृष्णा की कड़ी मेहनत ने एक बार फिर इस गाने को नए रुप में लोगों के सामने प्रस्तुत किया है।

    राकेश का यह गाना उनके पिछले गानों की तरह फ्यूजन बेस्ड नहीं है। राकेश इस गाने के निर्देशक,निर्माता और गीतकार भी हैं क्योंकि उनका यह सोचना था कि केवल वही इस गाने को अपना सौ प्रतिशत दे पाऐंगे जिसपर उन्होंने इतनी मेहनत की है।

    पारंपरिक लोक वाद्य यंत्र जैसे की र्मोचंड और हुड़का जो अब पहाड़ से विलुप्त होने की कगार पर है इन यंत्रों ने इस गाने में प्रमाणिकता और मधुरता पर चार चांद लगा दिया है, इसके लिए राकेश अपने के पिता जी का आभार व्यक्त करते हैं जिन्होंने अपने र्मोचंग बजाने की कला से राकेश को बचपन में नवाज़ा था।

    गढ़वाल के मशहूर फोटोग्राफर मुकेश खुग्साल  इस लोकगीत के विडियो डायरेक्टर हैं, जिन्होंने अपनी कला से इस गाने और संगीत में और भी जान डाल दी है।