देहरादून। रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) में पंजीकरण कराए बिना भूखंड बेच रहे प्रॉपर्टी डीलरों पर नियामक प्राधिकारी के नए निर्देशों के बाद अंकुश लग गया है, जबकि इससे आम आदमी की राह आसान हो गई है।
रेरा के नियामक प्राधिकारी अमित नेगी ने पूर्व में ग्रुप हाउसिंग, मिक्स प्रोजेक्ट (आवासीय, व्यावसायिक व औद्योगिक), कॉमर्शियल प्रोजेक्ट व प्लॉटेड डेवलपमेंट (प्लॉटिंग) श्रेणी के गैर पंजीकृत रियल एस्टेट कारोबारियों की रजिस्ट्री में रोक के जो निर्देश जारी किए थे, उनमें स्थिति स्पष्ट नहीं थी। इस कारण मानकों का सबसे अधिक उल्लंघन कर रहे प्रॉपर्टी डीलर साफ बच जा रहे थे, जबकि जमीन व फ्लैट आदि खरीद रहे आम लोगों को अनावश्यक औपचारिकताओं का सामना करना पड़ रहा था। यह खामी दूर करने के लिए ही नियामक प्राधिकारी अमित नेगी ने व्यवस्था शुरू की कि या तो प्रॉपर्टी बेचने वाले व्यक्ति रेरा में पंजीकरण का प्रमाण पत्र दिखाएं या इस आशय का शपथ पत्र दें कि वह रेरा के नियमों से बाहर हैं। आम आदमी के लिए शपथ पत्र देना बड़ी बात नहीं, जबकि रेरा नियमों के अधीन आने वाले व्यक्तियों के लिए झूठा शपत्र पत्र देना आसान नहीं क्योंकि पकड़े जाने पर कुल जमीन व निर्माण की लागत का पांच से 10 फीसद जुर्माना देने के अलावा उन्हें तीन साल की जेल भी हो सकती है।
रेरा के नियामक प्राधिकारी के सचिवालय के रूप में काम कर रहे उडा के कार्यक्रम प्रबंधक कैलाश पांडे के मुताबिक नए निर्देशों को लेकर प्रदेशभर से उप निबंधकों की प्रतिक्रिया मिलने लगी है और उनका कहना है कि गैर पंजीकृत प्रॉपर्टी डीलरों पर अंकुश लगना शुरू भी हो गया है।
15 ने नहीं दिया नोटिस का जवाब
रेरा में पंजीकरण कराए बिना परियोजना का प्रचार-प्रसार व कारोबार कर रहे जिन 36 रियल एस्टेट कारोबारियों को नोटिस जारी किए गए थे, उनमें से 21 कारोबारियों ने जवाब दाखिल कर दिए हैं। जबकि, 15 का जवाब आना अभी बाकी है। नोटिस का जवाब देने के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया था और अब लापरवाह रियल एस्टेट कारोबारियों पर रेरा नियमों के तहत कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।