फिल्म राइफलमैन जसंवत सिंह की शूटिंग देहरादून में जारी

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फिल्म निर्देशक अविनाष ध्यानी भारत माता के उस वीर सपूत की कहानी बड़े पर्दे पर दिखाने जा रहें है, जिसने 1962 के युद्ध में 72 घंटे तक चीनी सैनिकों से लोहा लिया था। इस वीर जवान का नाम था राइफलमैन जसवंत सिंह है, जिसकी गाथा को बड़े परदे पर उतारने जा रहे हैं। 1962 की भीषण लड़ाई के दौरान जसवंत सिंह रावत,  ने 300 चीनी सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया, लेकिन जसवंत सिंह को राशन पहुंचाने वाले आदमी के पकड़े जाने के बाद चीनी सेना को पता चला कि उनकी सेना के होश उड़ाने वाला एक अकेला राइफलमैन जसंवत सिंह है।

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जिसके बाद चीनी सैनिकों ने जसवंत सिंह रावत को पकड़ा, फांसी दी व जसंवत सिंह का सिर काटकर अपने साथ चीन ले गये, लेकिन जसवंत की बहादुरी से प्रभावित एक चीनी कमांडर ने उसे भारत को लौटा दिया। जेआर प्रोडक्शन के बैनर तले बन रही इस फिल्म की शूटिंग 1 जनवरी से शुरू हुई है। शूटिंग देहरादून के एफआरआई, खालंगा जोकि तपोवन के पास है, बरैाट-खाई समेत कई स्थानों पर की जा रही है।

फिल्म में जसवंत के पिता का किरदार वीरेंद्र सक्सेना और माता का किरदार अलका आमिन निभा रही हैं।

इस फिल्म में ‘भाग मिल्खा भाग’ के सुमित, शिशिर शर्मा, मुकेश तिवारी, इश्ताक खान, गिरीश सहदेव व सेना के अफसर की भूमिका में देहरादून के सतीश शर्मा भी दिखेंगे, फिल्म के बारे में सतीश कहते हैं कि, “राइफलमैन जसवंत सिंह रावत गढ़वाल के एक वीर की कहानी है जिस नायक के बारे में आज की युवा पीढ़ी कम ही जानती है। अविनाश ने इस फिल्म के लिये सालों शोध किया है औऱ मुझे पूरा यकीन है कि ये फिल्म ‘पान सिंह तोमर’ और ‘भाग मिल्खा भाग’ जैसी सफलता पायेगी।

जसवंत सिंह  के साथ कई अद्धभुत बातें आज भी जुड़ी हैं जैसे कि सेना के जवान आज भी मानते है कि जसवंत सिंह की आत्मा पोस्ट पर तैनात झपकी ले रहे सैनिकों को थप्पड़ मारकर जगाती है, या फिर  कहा जाता है कि जिस कमरे में जसवंत रहते थे वहां आज भी उनके जूतों को पॉलिश करके रखा जाता है लेकिन अगली सुबह बिस्तर, जूते और कपड़े ऐसे मिलते हैं जैसे किसी ने उनका उपयोग किया हो।

“राइफलमैन जसंवत सिंह रावत के ऊपर बन रही इस फिल्म से उनकी शोर्य गाथा हर व्यक्ति तक पहुंचेगी, और युवाओं के लिए प्रेरणा देने में कारगर साबित होगी,” यह कोशिश है फिल्म निर्देशक अविनाष ध्यानी की।