हल्द्वानी के एक कार्यकर्ता द्वारा दायर आरटीआई के एक प्रश्न के उत्तर में पता चला है कि पिछले 17 सालों में राज्य के 8 मुख्यमंत्रियों द्वारा किए गए कुल 7,888 घोषणाओं में से केवल 3,128 पूर्ण हुए है जो, केवल 40 प्रतिशत है।
वादे करके पूरे ना करने वालों में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत लिस्ट में पदों की सूची में सबसे ऊपर हैं, जिन्होंने अपने ढाई साल के दौरान किए गए 3,814 घोषणाओं के साथ सबसे ज्यादा घोषणा की थी, जिसमें से केवल 1300 से ज्यादा कोई कार्रवाई नहीं हुई थी। उनके पहले विजय बहुगुणा ने 1340 घोषणाएं कीं जिनमें से 678 पूरे हुए । मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के कार्यकाल में द्वारा किए गए 1140 घोषणाएं हुईं जिनमें से 450 को पूरा किया गया। एनडी तिवारी, राज्य के एकमात्र मुख्यमंत्री, जिन्होंने 5 साल का कार्यकाल पूरा किया और उस दौरान, 895 घोषणाएं हुई जिसमें से केवल 311 घोषणा पूरी हुई।
आरटीआई उत्तर के अनुसार, मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) बीसी खंडूरी ने अपने 2 बार मुख्यमंत्री पद के दौरान 617 घोषणाएं कीं, जिनमें से 336 को लागू किया गया। राज्य के पहले मुख्यमंत्री नित्यानंद स्वामी और उनके उत्तराधिकारी भगत सिंह कोश्यारी ने सबसे कम घोषणाएं की (33 और 11), जिनमें से कोई भी घोषणा सफल नहीं हुई। वर्तमान मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने अब तक के अपने कार्यकाल के में आज तक 38 घोषणाएं की हैं, जिनमें से 10 पर काम हुआ है ।
गुरविंदर चढ्ढा, एक एक्टिविस्ट है जिन्होंने आरटीआई में सवाल दायर किया था, उन्होंने कहा, “आंकड़े खुद के लिए बोलते हैं और साथ ही यह भी दर्शाते हैं कि एक से एक घोषणा करने वाले मुख्यमंत्री कितनी गंभीरता से अपनी घोषणाओं पर काम करते हैं। उन्होंने कहा कि, ‘राज्य सरकार द्वारा प्राप्त उत्तर के अनुसार राज्य के मुख्यमंत्रियों द्वारा कुल 7,888 घोषणाएं की गईं, जिनमें से 2,477 घोषणाओं पर अभी भी काम चल रहा हैं।’
डेटा पर प्रतिक्रिया देते हुए नैनीताल के एक कार्यकर्ता अजय सिंह रावत ने कहा, “हमारे सार्वजनिक कर्मचारियों यानि की नेताओं को लोगों के प्रति अपनी कर्तव्य का पालन करना चाहिए। झूठे वादों का निर्माण करना एक बुरा उदाहरण और राजनीतिक नेताओं में लोगों के भरोसे को ठेस पहुंचाता है। लोकलुभावनें वादों के बजाय ऐसे वादे करने चाहिए जो आसानी से पूरे किए जा सकें।
इस बीच, कांग्रेस के राज्य प्रवक्ता मथुरा दत्त जोशी ने मुख्यमंत्रीयों द्वारा कि गई घोषणाओं को सही ठहराया है।उन्होंने कहा कि “ऐसे कई अवसर आते हैं जब एक मुख्यमंत्री को स्थानीय लोगों की मांग या स्थानीय लोक प्रतिनिधियों के अनुरोध पर घोषणा करनी ही होती है।” उन्होंने कहा कि, “सीएम द्वारा किए गए सभी घोषणाओं के 100 प्रतिशत पूरा होने की उम्मीद नहीं की जा सकती क्योंकि कुछ परियोजनाएं और योजनाएं पूरा होने में कई साल लगते हैं।”