हरिद्वार का सेंट मेरी स्कूल क्यों है सुर्खियों में?

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हरिद्वार का एक शिक्षण संस्था, सेंट मेरी ज्वालापुर अच्छी खासी सुर्खियां बटोर रहा है। हर वर्ष तो यह संस्था अभिभावको के दृष्टिकोण से इसलिए चर्चा में रहती थी कि हर कोई अपना बच्चा इस स्कूल में पढ़ाना चाहता था। बच्चे का एडमिशन एक बडी समस्या अभिभावको के लिए बनी रहती है, शहर के बीच स्थित यह स्कूल सभी की पहली पसंद है, लेकिन वर्तमान में यह स्कूल मैनेजमेंट व शिक्षकों के विवाद के कारण चर्चा में है।

आज मध्य हरिद्वार में अभिभावक  संघ की एक बैठक हुई जिसकी अध्यक्षता ओमप्रकाश पावा द्वारा की गई। काफी संख्या में जुटे छात्र छात्राओं के माता पिता सेंट मेरी स्कूल के चल रहे विवाद को लेकर खासे परेशान नजर आए। सबसे ज्यादा परेशानी उन माता पिता को है जिनके बच्चे सेंट मेरी स्कूल में दसवीं और बारहवीं की परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। उन का कहना है कि सेंट मेरी स्कूल में जितना भी सीनियर स्टाफ है उसमें से 7 वरिष्ठ शिक्षक को सेंट मेरी मैनेजमेंट द्वारा तत्काल प्रभाव से निष्कासित कर दिया है जिसके कारण बच्चों के माता-पिता ना तो बच्चों को स्कूल से निकाल सकते हैं ना ही किसी अन्य शिक्षकों पर भरोसा कर सकते हैं।

अभिभावक संघ सेंट मेरी स्कूल के इस तुगलकी फरमान के कारण लोग रोष में है अौर कहते है कि स्कूल की यह कार्रवाई हमको 25 जून 1975 की याद दिलाती है, सन 1975 में आज के दिन भारत सरकार द्वारा आपातकाल लगाया गया था। लोगों का कहना है कि आज भी 25 जून है, आपातकाल का एहसास हमको आज हो रहा है। सेंट मेरी स्कूल की मनेजमेंट न जाने क्या नजीर पेश करना चाहती है। अभिभावकों का कहना है कि स्कूल मैनेजमेंट अगर अपने इस रुख पर  कायम रही  तो शुरुआती सत्र बहुत ही हंगामे दार होने जा रहा है। शहर के प्रबुद्ध नागरिकों के बार-बार प्रयास करने के बाद भी स्कूल मैनेजमेंट वरिष्ठ शिक्षकों से कोई भी वार्ता करने को तैयार नहीं है।

अभिभावको का कहना है कि इसाई मिशनरी कि इस मैनेजमेंट को उदारता का परिचय देते हुए शिक्षक छात्र छात्राओं के भविष्य के बारे में सोचना चाहिए। लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की आजादी संवेधानिक हक देती है केंद्र सरकार द्वारा दिए गए सातवे वेतन आयोग अनुसार शिक्षको द्वारा वेतन की मांग करना कोई जुर्म नहीं है जिसकी इतनी कठोर सजा दी जाए। अभिभावक संघ के सदस्यों का कहना है कि यह नैतिक मूल्यों की लड़ाई है, अच्छा होगा कि दोनों पक्ष मिल बैठकर कोई स्थाई समाधान शीघ्र ही निकाल ले ताकि आने वाला सत्र शांतिपूर्ण तरीके से पूर्व की भांति चलता रहे।