संस्कृत डिग्रीधारकों को योग शिक्षक नियुक्त करने के प्रस्ताव पर योग प्रशिक्षितों के तेवर तीखे

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(देहरादून) लंबे अरसे सरकारी स्कूलों में योग शिक्षकों की नियुक्ति किए जाने की मांग को लेकर आंदोलनरत योग प्रशिक्षक महासंघ उत्तराखंड एक बार फिर आंदोलन करने की तैयारी में है। महासंघ ने प्रदेश सरकार के संस्कृत डिग्री धारक अभ्यार्थियों को योग शिक्षक के पदों पर तैनाती देने के प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया है। इसे लेकर महासंघ की ओर से प्रदेश के शिक्षा मंत्री को ज्ञापन भी भेजा गया है। साथ ही स्कूलों में योग शिक्षकों की जल्द नियुक्ति को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पत्र लिखकर मामले का संज्ञान लेने की आग्रह किया गया है।
उत्तराखंड में योग प्रशिक्षित बेरोजगारों ने स्कूलों में जल्द नियुक्ति के संबंध में शिक्षा मंत्री पर देश के प्रधानमंत्री को पत्र लिखा। महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष डा. राकेश सेमवाल ने कहा कि उत्तराखंड योग की जन्मभूमि रही है। लेकिन अभी तक यहां प्राथमिक स्तर की शिक्षा में योग शिक्षा शामिल नहीं है। किताबें 2010 से लगातार बढ़ती जा रही है पर पढ़ाने के लिए शिक्षकों की कमी अभी तक पूरी नहीं हुई है। जबकि योग प्रशिक्षित बेरोजगार 2007 से लगातार आंदोलनरत हैं। साथ ही योग शिक्षा को शिक्षा में शामिल करने के संबंध में 2010, 2014 और 2016 में कैबिनेट की बैठक में प्रस्ताव पास हो चुका है। लेकिन अभी तक कोई नियुक्ति नहीं हुई है। भारतीय जनता पार्टी की सरकार इसकी पक्षधर होते हुए भी मुख्यमंत्री द्वारा बार-बार आश्वासन दिए जा रहे हैं। जबकि दूसरी ओर उत्तराखंड के हजारों योग प्रशिक्षित युवा बेरोजगार बैठे हैं। आलम यह है कि उत्तराखंड सरकार के मानकों के आधार पर उनकी अधिकतम आयु सीमा भी समाप्त होने लगी है। उन्होंने पीएम से स्वास्थ्य एवं शिक्षा दोनों को विशेष ध्यान में रखते हुए व हजारों योग डिप्लोमा या डिग्री धारकों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड शिक्षा विभाग में योग को अनिवार्य विषय के रूप में लागू किए जाने की मांग की।
सरकार के प्रस्ताव पर तीखे तेवर
वहीं दूसरी ओर योग प्रषिक्षित महासंघ ने प्रदेश सरकार के संस्कृत शिक्षकों को योग शिक्षकों के रूप में नियुक्त करने के प्रस्ताव का विरोध किया। प्रदेश अध्यक्ष डा. राकेश सेमवाल ने शिक्षा मंत्री को ज्ञापन भेजते हुए कहा कि उत्तराखंड में संस्कृत डिग्री या डिग्री धारकों को योग शिक्षक के रूप में नियुक्ति का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। इससे ना सिर्फ योगी डिग्री धारकों के भविष्य के साथ खिलवाड़ होगा, बल्कि योग शिक्षा व्यवस्था का भविष्य भी अधर में होगा। साथ ही हजारों योग डिग्री एवं डिप्लोमाधारी को धारियों के भविष्य को सरकार द्वारा अधर में लटकाया जा रहा है। उन्होंने शिक्षा मंत्री से अनुरोध किया कि हजारों योग डिग्री व डिपलोमा धारकों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए योग जन्म भूमि उत्तराखंड में योग शिक्षा को लागू कर शिक्षा एवं स्वास्थ्य दोनों में सुधार करने की मांग की। उन्होंने कहा कि यदि इसके बाद भी मांग पर सकरात्मक कार्रवाई नहीं की जाती है तो मजबूरन उन्हें एक बार फिर आंदोलन के लिए बाध्या होना होगा।