घोटालों के कालेज में पुस्तकों का भी घोटाला

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राधेहरि राजकीय महाविद्यालय प्रशासन द्वारा लाइब्रेरी में पुस्तकों की खरीद में भारी घोटाले का आरोप लगाते हुए छात्र नेताओं ने लाइब्रेरी में हंगामा काटा। उन्होंने कार्यकारी प्राचार्या का घेराव कर आरोप लगाया कि पुस्तकें बगैर किसी टेंडर के निर्धारित मूल्य से अधिक दामों पर खुले बाजार से क्रय की गई हैं। इतना ही नही, पुस्तकों की संख्या भी कई गुना अधिक दर्शाई गई है।

महाविद्यालय छात्रसंघ अध्यक्ष गुरप्रेम सिंह ने 16 नवंबर को आरटीआई के तहत महाविद्यालय में वर्ष 2015 से अब तक खरीदी गई पुस्तकों के बारे में पूर्ण विवरण मांगा है। छात्र नेताओं का आरोप है कि महाविद्यालय प्रशासन ने इन किताबों की खरीद में लाखों का घोटाला किया है। मामले को लेकर छात्रसंघ अध्यक्ष गुरप्रेम सिंह, पूर्व अध्यक्ष राहुल कांबोज, संयुक्त सचिव प्रियंका के नेतृत्व में छात्रों ने महाविद्यालय की लाइब्रेरी में हंगामा काटा।

उनका कहना था कि कॉलेज की लाइब्रेरी में दो माह पूर्व बहुत कम संख्या में पुस्तकें आई हैं, जबकि उनकी संख्या हजारों में बताई गई है। इन किताबों पर अंकित मूल्य काले स्कैच पेन से मिटाए गए है। कॉलेज प्रशासन ने 18 लाख 66 हजार 550 रुपये की पुस्तकें खरीदने का दावा किया गया है, जबकि लाइब्रेरी में पहुंची पुस्तकों का वास्तविक मूल्य दो लाख रुपये से भी कम है। ज्यादातर पुस्तकें मौजूदा पाठ्यक्रम से भिन्न है। उन्होंने मामले की जांच कराए जाने को लेकर कार्यकारी प्राचार्या डॉ. कमला शर्मा का घेराव भी किया। हंगामा करने वालों ने पुस्तकों की खरीद के मामले की निष्पक्ष जांच न होने पर आमरण अनशन शुरू करने की भी चेतावनी दी।

महाविद्यालय के पुस्तकालय प्रभारी डॉ. सुभाष सिंह कुशवाहा ने भी स्वीकार किया कि पुस्तकों की खरीद नियमानुसार नहीं की गई है। इस कारण इन पुस्तकों को दो माह बाद भी लाइब्रेरी के रिकार्ड में नहीं चढ़ाया जा सका है। डॉ. कुशवाहा ने बताया कि महाविद्यालय प्रशासन द्वारा जो पुस्तकें खरीदी जाती है, उन्हें पुस्तकालय के रिकार्ड में चढ़ाया जाता हैै। रिकार्ड में पुस्तकें चढ़ाते समय लेखक, पुस्तक का नाम, संस्करण, प्रकाशक का नाम, प्रकाशन का वर्ष, बिल नंबर आदि का संपूर्ण विवरण दर्ज किया जाता है। तीन माह पूर्व लाइब्रेरी में लाई गई पुस्तकों का बिल आदि प्राप्त नहीं हो सका है। इस कारण ये पुस्तकें रिकार्ड में नहीं चढ़ाई जा सकी हैं।