स्कूलों के नाम पर फंड नहीं और शिक्षकों की झोली फूल

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कुमाऊं मंडल में 77 हजार से अधिक बच्चों के लिए स्कूलों में फर्नीचर की जरूरत है। फर्नीचर नहीं होने की वजह से बच्चों को चटाई पर बैठ कर पढ़ाई करनी पड़ रही है। इसके अलावा सरकारी दावों से इतर बच्चे शौचालय नहीं होने और पानी की समस्या से जूझ रहे हैं।

हाई कोर्ट के आदेश के अनुपालन में कुमाऊं मंडल शिक्षा विभाग ने भी प्राथमिक स्कूलों के बच्चों की जरूरतों से संबंधित रिपोर्ट तैयार की है। यह रिपोर्ट इसलिए विभाग और सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा करती है, कि हर साल सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं। प्रशिक्षण कार्यक्रम से लेकर अभिनव प्रयोगों पर कागजी खानापूर्ति होती है। पब्लिक स्कूलों के प्रति अभिभावकों के बढ़ते क्रेज के बाद भी शिक्षा महकमा सुधरने को तैयार नहीं है। यही वजह है कि बच्चों के पठन-पाठन से लेकर बुनियादी जरूरतों पर हाई कोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ा है। मंडल में प्राथमिक विद्यालयों के डेढ़ लाख से अधिक बच्चे सुविधाओं का दंश झेल रहे हैं। विभागीय रिपोर्ट के अनुसार मंडल के प्राथमिक विद्यालयों में 697 शौचालय नहीं हैं जबकि 542 विद्यालयों में पानी नहीं है।

सरकारी स्कूलों में सुविधाओं की कमी के साथ ही शिक्षकों की बंकबाजी का फायदा पब्लिक स्कूल उठा रहे हैं। हर साल सरकारी स्कूलों में छात्रसंख्या घटने की मुख्य वजह यही है। यही वजह है कि मुफ्त खाना, ड्रेस की उपलब्धता भी अभिभावकों को आकर्षित नहीं कर पा रहा है और वह पेट काटकर पब्लिक स्कूलों में बच्चों का एडमिशन करा रहे हैं।