देहरादून। दून अस्पताल मेडिकल कॉलेज में रेडियोलॉजी विभाग की दो मशीनों को रेडियाेधर्मिता (रेडिएशन) फैलाने के कारण केन्द्रीय परमाणु ऊर्जा नियामक परिषद के वैज्ञानिकों ने सील कर दिया है। बची हुई पांच मशीनों के लिए एक माह की चेतावनी दी गई। सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि दून अस्पताल के मैनेजमेंट और राज्य सरकार ने इन मशीनों को लगाने और चलाने के लिए परमाणु ऊर्जा विभाग से कोई भी अनुमति नहीं ली थी।
नियमानुसार रेडियोलॉजी विभाग में जिन मशीनों से विकिरण (रेडिएशन) का खतरा होता है, उनके लिए परमाणु ऊर्जा विभाग से लाइसेंस लेना अनिवार्य है। मशीनों को सील करने की यह कार्रवाई दिल्ली और मुम्बई से आए परमाणु ऊर्जा विभाग के पांच अधिकारियों के दल ने अचानक छापामारी करने के बाद की है। इस घटना के बाद दून अस्पताल, सरकार और स्वास्थ्य विभाग में अफरा-तफरी मची हुई है।
जिन दो मशीनों को फिलहाल सील किया गया है, उनमें मैमोग्राफी और फिक्स्ड मैमोग्राफी मशीन शामिल हैं। यह मशीनें महिलाओं में स्तन कैंसर की जांच के लिए प्रयोग में लाई जाती हैं। जानकारी देते हुए जांच अधिकारी वी.के. सिंह जो विकिरण संरक्षा प्रभाग मुम्बई से आए हुए हैं, के साथ मंजू , राजेश्वरी पाई, अजीत सिंह तथा डॉ. ललित मोहन शर्मा जैसे अधिकारी आए हुए हैं जिन्होंने विकिरण की जांच की। उनका कहना है कि औपचारिक रूप से इस तरह के मशीनें लगाने से पहले विकिरण संरक्षा प्रभाग से अनुमति लेना आवश्यक है।
मशीनों को लगाने के पहले विभाग उनकी जांच करता है तब इसके लिए लाइसेंस देता है। इसके पीछे कारण यह होता है कि इन मशीनों से अधिक मात्रा में विकिरण न फैले ताकि रोगी को और रोगी न बनाया जाए। सिंह का कहना है कि अधिक विकिरण रोग फैलाने के साथ-साथ पर्यावरण के लिए खतरा पैदा करता है, जिसके लिए परमाणु ऊर्जा विभाग सुरक्षा के मापदंडों पर मशीन के खरा उतरने के बाद ही उसे लगाने के लिए प्रमाण पत्र जारी करता है।