हरिद्वार। गंगा में खनन का विरोध कर रहे मातृसदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद महाराज ने कहा कि नियमों को ताक पर रखकर कराए जा रहे खनन का नजारा केंद्रीय वन एवं पर्यावरण के देहरादून स्थित क्षेत्रीय कार्यालय से आए वैज्ञानिकों की टीम ने खुद अपनी आंखों से देख लिया है। टीम के निरीक्षण के दौरान करीब डेढ़ सौ वाहन गंगा से खनन सामग्री ढ़ोते मिले। पत्रकारों से वार्ता करते हुए उन्होंने कहा कि प्रतिदिन करीब ढ़ाई करोड़ रूपए की खनन सामग्री गंगा से निकाली जा रही है। जबकि रोजाना एक हजार टन खनन करने की ही अनुमति है। खनन सामग्री ढोने वाले वाहनों की निगरानी के लिए लगाए गए कैमरे भी ठीक ढंग से काम नहीं कर रहे हैं। ऐसे में खनन में लगे वाहनों से रायल्टी वसूलने में भी गड़बड़झाला हो रहा है। जिससे सरकार को राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है। खनन में लगे लोगों ने सारे टापू खोद दिए हैं। जिससे बड़े-बड़े गढ्ढे हो गए हैं। नियम विरूद्ध हो रहे खनन के लिए सरकार व जिला प्रशासन पूरी तरह जिम्मेदार है। जिस तरह गंगा को खोदा जा रहा है। उससे आने वाले समय में गंगा करा अस्तित्व बचा रहेगा। इस पर भी सवालिया निशान लग गए हैं। सरकार, प्रशासन व स्थानीय विधायक को पर्यावरण से किसी तरह का कोई मतलब नही है। गंगा में खनन के खिलाफ मातृसदन का संघर्ष अपना संघर्ष जारी रखेगा। ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद की तपस्या को एक माह पूरा होने के बावजूद अभी तक शासन व प्रशासन की और से कोई सुध नहीं ली गयी है। बावजूद इसके मातृसदन अपना आंदोलन जारी रखेगा।