तैश में आने वालों को हथियार का लाइसेंस नही

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अब हथियारों के लाइसेंस जिला प्रशासन तब जारी करेगा, जब आवेदनकर्ता की दिमागी हालात पूरी तरह स्वास्थ्य होगी। उसे बात-बात पर गुस्सा नहीं आता होगा और वो शराब का सेवन अधिक नहीं करता होगा। इसके लिए अब एलआईयू रिपोर्ट के साथ सभी तरह के मानसिक स्वास्थ्य सर्टिफिकेट प्राप्त करना जरुरी होगा। राज्य के हर जिले में इसे लागू कर दिया गया है।
अभी तक पिस्टल, रिवॉल्वर और एलजी यानी लोंग ग्राफ राइफल के लिए एलआईयू रिपोर्ट ही लगती थी। उसके बाद फाइल एसएसपी कार्यलय से होते हुए जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचती थी। वहीं पिछले दिनों देशभर में शराब पीकर हर्षफायर करने की घटनाएं बड़ी है, जिससे कई लोगो की मौत भी हुई। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने तय किया कि एलआईयू की रिपोर्ट के अलावा जिला अस्पतालो में मनोचिकित्सक विभाग की रिपोर्ट भी अनिवार्य होगी। मनोचिकित्सक कई बिन्दुओ पर आवेदक की जांच करेंगे।
दून अस्पताल के सीएमओ डा. वाई.एस थपलियाल ने बताया कि कुछ दिन पूर्व ही जिला प्रशासन से पत्र आया था। उसके बाद दून अस्पताल को इस बारे में सूचित करके व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए हैं। आगे जो भी व्यवस्था बनेगी, उसके अनुसार आहे काम किया जाएगे।
दून अस्पताल में मनोचिकित्सक विभाग के अध्यक्ष डॉ. कर्नल जेएस राणा ने बताया कि मनोचिकित्सक ऐसे आवदेकों को फेल कर देते हैं, जिन्हें अत्यधिक गुस्सा आता है। वहीं जो शराब का अत्याधिक सेवन करते हैं या और किसी नशीली पदार्थ का सेवन करते हैं, ऐसे आवेदकों को भी अनफिट कर दिया जाता है। इसके अलावा कोई दिमागी बीमारी हो या डिप्रेशन से पीड़ित व्यक्ति को भी फेल किया जाता है।
हथियारों के बाद ड्राइविंग लाइसेंस के लिए भी ऐसी व्यवस्था जल्द शुरू होने वाली है। केंद्र सरकार का मानना है कि वाहन चलाने के लिए स्वास्थ्य दिमाग होंना जरूरी है। वहीं, संभागीय परिवहन अधिकारी सुधांशु गर्ग ने बताया कि इस बारे में अभी मौखिक रूप से ही सुना है।