नैनी झील बचाने के लिये बयान साबित हो रहे नाकाफ़ी?

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मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने यह बात वैज्ञानिकों, विशेषज्ञों व बुद्धिजीवियों के साथ बोट हाउस क्लब में नैनी झील बचाने हेतु बैठक में कहां कि, नैनी झील राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त है, झील के संरक्षण व संवर्द्धन के लिये कोई कसर नहीं छोड़ी जायेगी। राज्य सरकार इसके लिये पूरी सहायता करेगी, झील के संरक्षण संवर्द्धन के लिये राज्य सरकार द्वारा 3 करोड़ रूपये की धनराशि अवमुक्त कर दी गयी हैं। झील के संवर्द्धन के लिये जरूरत पड़ने पर केन्द्र सरकार से भी सहयोग लिया जायेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वैज्ञानिकों की राय के अनुसार ही झील के संरक्षण की डीपीआर बनाई जाये। उन्होंने कहा नैनीताल शहर से लगे हुये पुराने जल सो्रतों को रिचार्ज करने के लिये योजना बनायी जाये, उन्होंने कहा कि झील के जलागम क्षेत्र व प्राकृतिक सौन्दर्य को बचाने के लिये झील के आस-पास कतई भी छेड़-छाड़ ना की जाय। उन्होंने झील संरक्षण के लिये आईआईटी रूड़की, वैज्ञानिकों व वन विभाग से भी सहयोग लिया जाने की बात रखी।
उन्होंने कहा कि नैनीताल झील में जो भी नाले गिरते हैं, उनमें कैचपिट अनिवार्य रूप से बनाये जायें ताकि झील में मलुवा व कूड़ा आने से रोका जा सकें। नैनी झील के जलागम क्षेत्र सूखाताल सहित पहाड़ी क्षेत्रों में जहां से सिल्ट हटानी है, उन्हें तत्काल हटाया जाय ताकि बरसात में झील अधिक से अधिक रिचार्ज हो सकें।  मुख्यमंत्री श्री रावत ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि जिन नदी नालों में सिल्ट जमा होने के कारण पानी का बहाव नहीं हो पा रहा है, उन्हें तत्काल चैनालाइज किया जाय ताकि पानी आसानी से बह सकें। मुख्यमंत्री श्री रावत द्वारा झील का निरीक्षण कर मौके पर अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश जारी किये गए।