प्रदेश के अस्पताल झेल रहे डॉक्टरों की किल्लत

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देहरादून। पहाड़ की बात छोडि़ए, डॉक्टर दून तक में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे। प्रदेश के सबसे बड़े अस्पतालों में शुमार दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय तक उन्हें आकर्षित नहीं करता। हालिया स्थिति तो कम से कम यही बयां कर रही है। अस्पताल की इमरजेंसी में डॉक्टरों का बोझ कम करने को चार इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर (सीएमओ) की नियुक्ति हुई थी। जिसमें मात्र एक ने ही ज्वाइन किया है।

दरअसल, आपातकालीन सेवा 24 घटे तीन पालियों में चलती है और इस दौरान 450 से 500 मरीज यहां उपचार के लिए पहुंचते हैं। इन मरीजों के उपचार के लिये इमरजेंसी में पर्याप्त ईएमओ तक नहीं हैं। इन विशेषज्ञों के अभाव में अन्य डॉक्टरों की मदद लेनी पड़ रही है। अभी कुछ वक्त पहले दून मेडिकल कॉलेज में ईएमओ के रिक्त पद भरने के लिए कवायद शुरू की गई। जिसके तहत चार डॉक्टरों की नियुक्ति की गई। लेकिन इनमें महज एक डॉ. नरेश ने ही ज्वाइन किया। अन्य तीन डॉक्टरों के ज्वाइन न करने से अस्पताल में संकट अब भी बरकरार है और इस स्थिति से उबरने के लिए अन्य डॉक्टरों की आपातकालीन ड्यूटी लगाई जा रही है।
कार्यकारी चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केसी पंत का कहना है कि इमरजेंसी में दिक्कत को देखते हुए ही चार डॉक्टर की नियुक्ति की गई थी। उम्मीद थी कि इससे स्थिति सुधर जाएगी, लेकिन इनमें से एक ही डॉक्टर ने ज्वाइन किया है। इसके अलावा एक अन्य कुछ दिन में ज्वाइन करेंगे। बाकी ने ज्वाइनिंग क्यों नहीं ली, यह बता पाना मुश्किल है।