ये है बुलेट ट्रेन लोगो के बनने के पीछे की कहानी

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    केंद्र सरकार की बुलेट ट्रेन परियोजना जितनी महत्वाकांशी और मुश्किलों से भरी है उतनी ही रोमांच से भरी है। परियोजना का लोगो डिजाइन करने के लिये सरकार ने एक मुकाबला रखा, इस मुकाबले में चक्रधर आला नाम के डिजाइनर को जीत हासिल हुई और चक्रधर को आत्मविश्वास की बुलंदियों पर पहुंचा दिया। लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि इस मुकाम पर पहुंचने के लिए उसे कितना इंतजार करना पड़ा।

    दरअसल चक्रधर इससे पहले भी विभिन्न लोगो प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेते रहे हैं और करीब-करीब 30 बार नाकामी का दर्द उन्हें झेलना पड़ा। नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ डिजाइन, अहमदाबाद के सेकंड ईयर के छात्र 27 वर्षीय चक्रधर आला ने कहा कि उसने, “केंद्र सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर शुरु तकरीबन हर डिजाइन प्रतियोगिता में हिस्सा लिया, लेकिन लगातार नाकामी का सामना करना पड़ा, आखिरकार बुलेट ट्रेन के लिए बनाए उसके लोगो ने ज्यूरी का दिल जीत लिया।” चक्रधर का कहना है कि वह बेहद उत्साहित है और बुलेट ट्रेन से संबद्ध हर सरकारी दस्तावेज, लेटर हेड और सूचना पत्रों पर अपनी कृति देखने के लिये अब ज्यादा इंतजार नहीं कर सकते।

    अपने डिजाइन के बारे में कहते हुए वो बतात हैं कि, “अगर कोई इस लोगो को करीब से देखे तो ट्रेन जैसी आकृति नजर आएगी, जिसमें बनायी गई बिंदु हर स्टेशन और संबंधित मार्ग को दर्शाती हैं। डिजाइन में देश की इस हाई स्पीड ट्रेन के कई पहलुओं को समाहित किया गया है।”

    मूल रुप से हैदराबाद के रहने वाले चक्रधर के पिता एक सरकारी आॅफिसर हैं और उनकी माता शहर के स्कूल में प्रधानाध्यापिका हैं। अपने डिजाइन के बारे में चक्रधर ने कहा कि ”मेरा डिजाइन दिखने में बेहद आसान है लेकिन इसमें गहरे अर्थ छिपे हैं। चीता जहां तेज गति, विश्वसनीयता और भरोसे को दर्शाता है वहीं यह लोगो इसके शरीर पर उकेरे गये रेल नेटवर्क के साथ किसी पारंपरिक ट्रेन का मानचित्र भी प्रदर्शित करता है। लोगो डिजाइन करने के प्रति मेरी धुन के कारण मेरे मित्र एवं परिवार के लोग मुझे लोगोमैन कहते हैं। मैंने स्वच्छ भारत और बेटी बचाओ जैसे कई कार्यक्रमों का लोगो बनाया है, लेकिन ट्रेननुमा चीता की डिजाइन मेरी पहली जीत है”।